नाटक “भूख” में दिखी गरीबी से उपजी विवशता

सूत्रधार की नवीनतम प्रस्तुति “भूख” का हुआ मंचन
गरीबोँ की जरूरतों और बेबसी को दर्शाता नाटक “भूख”

खगौल। सांस्कृतिक संस्था सूत्रधार, खगौल की नवीनतम नाट्य प्रस्तुति “भूख” का दमदार मंचन खगौल के प्रेक्षागृह एन.सी. घोष में हुआ। नाटक एक ऐसे गरीब और जरूरतमंद व्यक्ति की कहानी दिखाता है जिसमें वह गरीबी को मिटाने हेतु अपनी जान जोखिम में डाल देता है। नाटक में बादशाह के चापलूसों और नमक-मिर्च लगाकर घटना पेश करने वाले व्यक्तियों को उजागर किया गया लेकिन अंततः बीरबल की चतुराई से भूखे एक गरीब व्यक्ति को इंसाफ मिल ही जाता है।
इसके पूर्व नाट्य मंचन संध्या में आगत अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र एवं स्मृति-चिन्ह देकर किया गया। अतिथियों का स्वागत करते हुए संस्था के महासचिव एवं वरिष्ठ रंगकर्मी नवाब आलम ने कहा कि नाटक सामाजिक बदलाव का एक सशक्त माध्यम है वहीं मनोरंजन का बेहतर साधन भी। कार्यक्रम का विधिवत उद्धघाटन पंचायत सीरीज 3 के अभिनता बुल्लू कुमार, प्रो शशिकांत,अजय कुमार, खगौल के सुप्रसिद्ध डेंटल सर्जन डॉ संजेश कुमार गुंजन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। उन्होंने कहा कि भावी पीढ़ी को अपनी गौरवपूर्ण संस्कृति का ज्ञान होना चाहिए। थियेटर समाज का आईना होता है। राहुल ने कहा कि थियेटर कला का एक सशक्त विद्या है। बच्चों को पढ़ाई के साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम में सक्रिय भूमिका निभाना चाहिए। विशिष्ट अतिथि.अजय कुमार ने कहा कि बच्चों में काफी प्रतिभा है। जरूरत है उनकी प्रतिभा को निखारने की। यही बच्चे एक उम्दा कलाकार बनकर राज्य और देश का गौरव बढ़ाएंगे। मौके पर कई गणमान्य लोगों की उपस्थिति भी रही जिसमे अजय कुमार धीरज कुमार यादव, राहुल राही, चंदू प्रिन्स,प्रसिद्ध यादव,अरुण सिंह अस्तानंद, मो. सादिक, विष्णु गुप्ता,अखिलेश मुन्ना आदि शामिल हैं ।

प्रस्तुत नाटक “भूख” में बड़कऊ की लीड रोल में प्रेम राज गुप्ता, बीरबल के रूप में तेजस राय, नर्तकी के रूप में अलिशा, पहरेदार रौशन कुमार एवं सोनू कुमार ने प्रभावी अभिनय किया। शेष कलाकारों में सुधीर कुमार, कुंदन कुमार, रागनी, आदित्य, सन्नी, राजू कुमार,अभिषेक राज , तानिया, वैष्णवी आदि शामिल थे।
मूल कथा किशोर कुमार सिन्हा और प्रस्तुति परिकल्पना एवं निर्देशन राम नारायण पाठक का था। प्रस्तुति नियंत्रक जीशान आलम, मंच सज्जा संजीत गुप्ता जबकि संगीत गुलशन पाण्डेय, चन्दन, राजेश, भोला और राजीव त्रिपाठी का था।

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