पारस एचएमआरआई में दूरबीन विधि से 12 साल की बच्ची का क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस की सफल सर्जरी

पटना। अत्याधुनिक उपकरणों के दम पर पारस एचएमआरआई ने 12 साल की बच्ची के पथरी का इलाज बिना चीड़ा के कर दिखाया और उसे चार दिन के अंदर ठीक कर दिया। किशनगंज की 12 साल की बच्ची को बहुत लम्बे समय से पेट में दर्द था। यह दर्द पेट से शुरू होकर पीठ की तरफ जाता था। दर्द से राहत के लिए उसे लगातार दवाई खानी पड़ती थी और सूई लेना पड़ता था पर कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पा रहा था तो उसके परिजन उसे पारस एचएमआरआई, पटना लेकर आ गए। यहां जांच में पता चला कि उसके पैनक्रियाज ग्रंथी में कई सारे सिस्ट बन गए हैं। जिसे स्यूडो सिस्ट कहते हैं। पैनक्रियाज की नली चौड़ी हो गयी है और उसमें पथरी बन गए हैं। इस बीमारी को क्रोनिक पैंक्रियाटाइटिस कहा जाता है। इसके बाद गैस्ट्रोसर्जन डॉ नितिन कुमार ने उसका इलाज शुरू किया। इस बीमारी के इलाज में 15 सेंटीमीटर की नली को पूरा खोलकर उसमें से सभी स्टोन को निकाल दिये जाते हैं और छोटी आंत से जोड़ दिया जाता है। आमतौर पर यह पूरी प्रक्रिया चीड़ा लगाकर ऑपरेशन के जरिए होती है मगर बच्ची के परिजन किसी भी तरह की चीड़ा के लिए तैयार नहीं थे। ऐसे में दूरबीन विधि से इलाज करना ही एक रास्ता था। मगर दिक्कत यह थी कि इतनी छोटी बच्ची की लेप्रोस्पोपिक सर्जरी काफी मुश्किल थी। क्योंकि उसकी उम्र कम थी, पेट छोटा था और इसके कारण अंदर सर्जरी के लिए बहुत कम जगह थी। लेकिन फिर भी डॉ. नितिन कुमार ने लेप्रोस्कोपी से उसकी सर्जरी करने का फैसला किया। उन्होंने आधुनिक तकनीक की मदद से यह सर्जरी की और यह सर्जरी पूरी तरह से सफल रही। तीन दिन के बाद बच्ची मुंह से खाने-पीने लगी और चौथे दिन उसे घर भेज दिया गया।
पारस हेल्थ के जोनल डायरेक्टर डॉ. विक्रम सिंह चौहान के मुताबिक पारस एचएमआरआई में लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए लगभग सभी अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध हैं। इसलिए यहां इस तरह का जटिल ऑपरेशन करना बहुत ही सुलभ हो जाता है। यहां मरीजों की सुरक्षा और किफायती दर में इलाज का पूरा ध्यान रखा जाता है।

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