डा ‘बेचन’ की आलोचनात्मक टिप्पणी भी लालित्यपूर्ण हुआ करती थी

डा विष्णु किशोर झा ‘बेचन’ के स्मृति-पर्व पर ‘बेचन समग्र (खंड-२)’ तथा ‘एक अधूरी कहानी का हुआ लोकार्पण,
कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय को दिया गया स्मृति सम्मान, आयोजित हुआ कवि-सम्मेलन

पटना। बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष और भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति रहे, स्मृति-शेष साहित्यकार डा विष्णु किशोर झा ‘बेचन’ आलोचना-साहित्य के अधिकारी विद्वान थे। उन्होंने ‘नीरस’ समझे जाने वाले साहित्यालोचन को सरसता प्रदान की। उनकी आलोचनात्मक टिप्पणी भी किसी कथा-कहानी और काव्य के लालित्य से पूर्ण हुआ करती थी। वे एक बड़े कवि, कथाकार और नाटककार के साथ विनम्र किंतु अनुशासन-प्रिय प्रशासक थे।
यह बातें बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में डा बेचन के स्मृति-पर्व पर आयोजित पुस्तक-लोकार्पण और स्मृति-सम्मान समारोह की अध्यक्षता करते हुए, सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि डा बेचन का व्यक्तित्व बहु-आयामी था। वे अनेक सारस्वत गुणों से युक्त एक आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी थे। साहित्य सम्मेलन से उनका वर्षों का संबंध था। अनेक वर्षों तक वे भागलपुर ज़िला हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष रहे। १९९६ से २००० तक बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन के भी अध्यक्ष रहे।
समारोह का उद्घाटन करते हुए, समारोह के मुख्य अतिथि और बिहार विधान परिषद के सदस्य डा राजवर्द्धन आज़ाद ने कहा कि डा बेचन हिन्दी के महान साहित्याकारों में परिगणित होते हैं। उनके पुत्र डा मनोज कुमार झा ने उनकी स्मृति को जीवित रखने के लिए उनकी कृतियों का प्रकाशन कर एक सुयोग्य पुत्र होने का कर्तव्य पूरा किया है, जिसके लिए वे वध्य और शुभकामनाओं के पात्र हैं।
डा आज़ाद ने डा बेचन की कहानियों के संग्रह ‘एक अधूरी कहानी’ तथा वरिष्ठ साहित्यकार ब्रज किशोर पाठक द्वारा संपादित पुस्तक ‘डा बेचन समग्र (खंड-२)’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर गीति-साहित्य के लोकप्रिय कवि ब्रह्मानन्द पाण्डेय को, ‘डा विष्णु किशोर झा ‘बेचन’ स्मृति सम्मान’ से अलंकृत किया गया। सम्मेलन अध्यक्ष के साथ डा बेचन के पुत्र और विद्यालय परीक्षा समिति के सचिव डा मनोज कुमार झा ने, उन्हें सम्मान-स्वरूप, वंदन-वस्त्र, प्रशस्ति-पत्र और स्मृति-भेंट के साथ ग्यारह हज़ार रूपए की सम्मान-राशि भी प्रदान की।
मगध विश्वविद्यालय के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्र कुमार चौधरी ने डा बेचन पर अपना सुविस्तृत व्याख्यान में उन्हें दूसरा ‘दिनकर’ बताया। सम्मेलन के उपाध्यक्ष डा शंकर प्रसाद, ब्रज किशोर पाठक, प्रो रत्नेश्वर मिश्र, डा बेचन के पुत्र डा मनोज कुमार झा, पत्रकार कुमार कृष्णन, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी बच्चा ठाकुर, डा मधु वर्मा, डा पूनम आनन्द, डा मेहता नगेंद्र सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
इस अवसर पर आयोजित कवि-सम्मेलन का आरंभ चंदा मिश्र की वाणी-वंदना से हुआ। वरिष्ठ कवि प्रो सुनील कुमार उपाध्याय , प्रो इन्द्रकांत झा, डा एम के मधु, डा नागेन्द्र पाठक, जय प्रकाश पुजारी, डा शालिनी पाण्डेय, प्रो रामा शंकर मिश्र, सिद्धेश्वर, डा राम गोपाल पाण्डेय, ई अशोक कुमार, सुनीता रंजन, शंकर शरण मधुकर, नरेंद्र कुमार आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी सरस काव्य-रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। कवि-सम्मेलन का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।
इस अवसर पर, डा बेचन की विधवा केसर झा, वरिष्ठ लेखक डा शशि भूषण सिंह, प्रो सुशील कुमार झा, डा ब्रज भूषण शर्मा, रानी पाठक, राजेश शुक्ला, डा प्रेम प्रकाश, इंदु पाण्डेय, बाँके बिहारी साव समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे।

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