पारस एचएमआरआई में विश्व किडनी दिवस पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन

• किडनी दान करने वालों को किया गया सम्मानित

पटना। किडनी की बीमारी आजकल महामारी की तरह फैल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण है लोगों में शुगर और ब्लड प्रेशर का बढ़ना, मोटापा बढ़ना, असंतुलित भोजन, व्यायाम न करना और नशे जैसी चीजों का आदि हो जाना। किडनी की बीमारी के शुरुआती दौर में कोई दर्द या तकलीफ नहीं भी हो सकती है। मगर धीरे-धीरे यह बीमारी घातक होती चली जाती है। पारस एचएमआरआई, पटना में बुधवार को किडनी से संबंधित रोगों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम के बाद आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ये बातें पारस एचएमआरआई के किडनी रोग विभाग के निदेशक डॉ. शशि कुमार ने कहीं। कार्यक्रम का आयोजन विश्व किडनी दिवस (14 मार्च) की पूर्व संध्या पर किया गया था। विश्व किडनी दिवस हर साल मार्च महीने के दूसरे बृहस्पतिवार को मनाया जाता है जिसका मुख्य उद्देश्य किडनी रोग के बारे में जागरूकता फैलाना है। हर साल एक नई थीम को लेकर आते हैं और इस साल का थीम है सभी के लिए किडनी स्वास्थ्य: देखभाल और इष्टतम दवा अभ्यास तक समान पहुंच को बढ़ावा देना। इस कार्यक्रम में कई विशेषज्ञ, किडनी के मरीज और चिकित्साकर्मी शामिल हुए। कार्यक्रम में किडनी की गंभीर बीमारियों से लड़कर ठीक हो चुके मरीजों को प्रोत्साहित किया गया और किडनी दान करने वाले लोगों को सम्मानित कर उनका हौसला बढ़या गया।
डॉ. शशि कुमार ने कहा कि किडनी से संबंधित रोगों का अगर समय से पता चल जाय तो उसे ठीक करना बहुत मुश्किल काम नहीं है। मगर देरी होने पर यह जानलेवा हो सकता है। ऐसे में आम लोगों के लिए सबसे जरूरी है इसके प्रति जागरूक रहना और नियमित रूप से जांच कराना।
“इस मौके पर यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अपूर्व चौधरी ने कहा कि आम लोगों को यह सलाह दी जाती है कि जिनकी उम्र 50 साल से ज्यादा हो गयी है या जो शुगर या ब्लड प्रेशर के मरीज हैं, जिन्हें पेशाब में तकलीफ होती है वे इससे सावधान रहें। जिनकी किडनी में पथरी है या जिनके घर में किडनी के कोई और रोगी हैं जिनके पेशाब में संक्रमण है या जो दर्द की दवाइयों का प्रायः सेवन करते रहते हैं उन्हें नियमित रूप से जांच कराते रहना चाहिए।“
यूरोलॉजी विभाग के कंसल्टेंट डॉ. विकास कुमार ने कहा कि पांच बेहद जरूरी बातों को ध्यान में रखकर किडनी के रोगों से बचा जा सकता है। इसमें पहला है रोजाना शारीरिक अभ्यास जिसमें योगा और व्यायाम शामिल है। दूसरा है- नियमित, संतुलित और सादा खान-पान। तीसरा है, शुगर और ब्लड प्रेशर को हमेशा कंट्रोल में रखना। चौथा, किसी भी तरह के नशे से दूर रहना और पांचवां है, बिना डॉक्टरी सलाह के दर्द की दवाइयां और एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से बचना।
पारस एचएमआरआई के यूनिट हेड डॉ. वैभव राज ने कहा कि किडनी के ऐसे मरीजों में जिनमें किडनी की क्षमता इतनी कम हो गयी है कि जिससे वो शरीर की सारी गंदगी नहीं निकाल सके तो ऐसी स्थिति में दो ही विकल्प होता है। पहला- जो काम किडनी नहीं कर पा रही है वो मशीन करे, जिसे डायलिसिस कहते हैं और दूसरा- उस मरीज की किडनी को बदलकर किसी सक्षम व्यक्ति की किडनी को वहां लगा दिया जाय, जिसे किडनी ट्रांसप्लांट कहा जाता है। आमतौर पर ऐसी स्थितियों में ट्रांसप्लांट ज्यादा अच्छा उपाय माना जाता है।
इस मौके पर डॉ. अभिषेक कुमार, डॉ. जमशेद अनवर और डॉ. अशुमन आशु ने भी अपनी बातें रखीं।
पारस एचएमआरआई के बारे में
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है।

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