प्रथम पूज्य भगवान गणेश स्मृति अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का उद्घाटन

पटना। सर्वत्र संस्कृतम् एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना की ओर से आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अन्तर्गत प्रथम पूज्य भगवान गणेश स्मृति अन्तर्जालीय दशदिवसात्मक अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत सम्भाषण शिविर का उद्घाटन समारोह सम्पन्न हुआ।

भादप्रद मास में भगवान गणेश के नाम का जाप करना, संस्कृत मंत्रों, स्त्रोतों के साथ संस्कृत संभाषण शिविर का होना ये सभी गणपति महाराज के आशीर्वाद से ही सम्भव है। भादप्रद मास के दौरान बुधवार का दिन शुभ होता है और ऐसा माना जाता है कि यदि भक्त समर्पण भाव के साथ भगवान गणेश की पूजा करे तो उनकी मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं। ये सभी बातें कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आधुनिको भव संस्कृतं वद अभियान के अध्यक्ष एवं विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डॉ. मुकेश कुमार ओझा ने कही।

संभाषण शिविर का उद्घाटन करते हुए संस्कृतज्ञ डा अनिल कुमार सिंह, विशेष सचिव गृह विभाग उत्तर प्रदेश शासन एवं अभियान के प्रधान संरक्षक ने अपने उद्बोधन में विघ्नहर्ता गणेश जी का मंत्र “वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ । निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा” का उच्चारण व जाप करते हुए सभी शिविर सदस्यों को गणेश चतुर्थी की शुभकामना देते हुए कहा कि संस्कृत अध्ययन से ही हमारा जीवन उत्कृष्ट होगा तथा अस्माकं संस्कृतं प्राणभूतं का संदेश के साथ संभाषण शिविर की प्रशंसा व्यक्त की।

मुख्य अतिथि संयुक्त निदेशक पेंशन विभाग, उत्तरप्रदेश के धमेंद्र पति त्रिपाठी ने कहा कि भादप्रद मास में श्री गणेशोत्सव सम्पूर्ण भारत में अति उल्लास के साथ मनाया जाता हैं। मुख्य वक्ता शैलेन्द्र सिन्हा, विशिष्ट अतिथि संस्कृत गीतकार डॉ अनिल चौबे, महेश मिश्र, राष्ट्रीय संयोजिका डॉ रागिनी वर्मा आदि के उद्बोधन से वातावरण श्रीगणेशमय हो गया। उन्होनें सभी सदस्यों को प्रतिदिन आने के लिए प्रेरित किया। शिविर के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली विश्वविद्यालय संस्कृत शोधार्थी पिन्टू कुमार ने संस्कृत में कुशल एवं सरस संचालन कर देश भर के संस्कृतज्ञों को जोड़े रखा। इस समारोह में वैदिक मंगलाचरण रितु, स्वागत गीत तनुजा कुमारी, धन्यवाद ज्ञापन डॉ लीना चौहान तथा ऐक्य मंत्र उपासना आर्या ने किया। इस संस्कृत सम्भाषण शिविर के उद्घाटन समारोह में भारत के विभिन्न राज्यों से 50 से अधिक लोग जुड़े रहें।

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