पटना २९ मार्च। वरदराज रचित लघु सिद्धांत कौमुदी का निर्माण संस्कृत व्याकरण के प्रारंभिक अध्येताओं के लिए हुआ है। इस ग्रंथ में जटिल एवं अनावश्यक सूत्रों का स्थान नहीं है।इसलिए वरदराज रचित सभी ग्रंथों में
लघुसिद्धांत कौमुदी का प्रचार सबसे अधिक हुआ है और आज भी उसे पाणिनीय व्याकरण का सर्वोत्तम प्रवेश ग्रंथ माना जाता है।यद्यपि वरदराज ने संस्कृत व्याकरण के क्षेत्र में किसी मौलिक ग्रंथ की रचना नहीं की फिर भी अपनी लघुसिद्धांत कौमुदी द्वारा पाणिनीय व्याकरण को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया-
ये सभी बातें संस्कृत संरक्षण समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष तथा विहार संस्कृत संजीवन समाज पटना के महासचिव डा मुकेश कुमार ओझा ने वरदराज स्मृति अन्तर्जालीय पञ्चदशदिवसात्मक (पन्द्रह दिवसीय)अन्तर्राष्टीय संस्कृत व्याकरण ज्ञान शिविर की अध्यक्षता करते हुए कही।कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन करते हुए पटना उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता उग्र नारायण झा ने वरदराज के विषय में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि पाणिनीय अष्टाध्यायी के पूर्व लघुसिद्धांत कौमुदी का अध्ययन आवश्यक है।मुख्य अतिथि के रूप में गंगादेवी महिला महाविद्यालय की संस्कृत विभागाध्यक्षा डॉ रागिनी वर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस व्याकरण शिविर में सरल पद्धति से संस्कृत व्याकरण का ज्ञान कराया जाएगा,जो प्रतियोगी परीक्षाओं एवं अन्य सभी परीक्षाओं के लिए
अति उपयोगी होगा।इसका ज्ञान संस्कृत सम्भाषण शिविर में भी आवश्यक है।इस कार्यक्रम का संचालन उपासना आर्या,धन्यवाद ज्ञापन डॉ लीना चौहान एवं ऐक्य मंत्र जया भारती ने किया। इस व्याकरण शिविर में संस्कृत शोधार्थी सुजाता घोष, संस्कृत शोधार्थी प्रीति तिवारी,अदिति चोला,तनुजा कुमारी,राकेश कुमार, पवन क्षेत्री,प्रचिति कुमारी ,सपना कुमारी,डा लीना चौहान, जया भारती,उपासना आर्या सहित ३०छात्र भाग ले रहें हैं।