खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास, रविवार को पहला अर्घ्य

KHAGAUL, PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|

रंजीत सिन्हा की रिपोर्ट

सूर्योपासना का चार दिनी महापर्व छठ शुक्रवार को नहाय खाय के साथ आरंभ हो गया है। स्नान, ध्यान के उपरांत छठ व्रतियों ने शुक्रवार को कद्दू और भात ग्रहण किया।

शनिवार को खरना अनुष्ठान में सूर्य देव व छठी मइया को चावल, गुड़ व दूध की खीर, रोटी, फल आदि का भोग लगाया गया। यही भोग प्रसाद ग्रहण करने के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जल उपवास आरंभ हो गया। पूजा के बाद व्रतियों ने हाथों से प्रसाद वितरित किया। स्वजनों के अलावा आसपास के लोगों ने भी व्रतियों का पैर छूकर आशीर्वाद लिया। रविवार 30 अक्टूबर को अस्ताचलगामी सूर्य और 31 अक्टूबर सोमवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।

मिट्टी के चूल्हे पर बना खरना का प्रसाद

छठ महापर्व में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है। शहर हो या गांव छठ महापर्व के विधान में काेई अंतर नहीं दिखता है। परंपरा के अनुसार खरना के दिन व्रती संध्या में आम की लकड़ी से मिट्टी के बने चूल्हे पर गुड़ का खीर बना कर भोग अर्पण करते हैं। प्रसाद के रूप में इसे ही ग्रहण किया गया। इस दौरान नियम-निष्ठा का पूरा पालन किया गया। 30 अक्टूबर रविवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। इस दिन छठ घाट पहुंचने से पूर्व घर में सभी सदस्य मिलजुल कर साफ-सफाई से शुद्ध देसी घी में ठेकुआ बनाएंगे। इसी ठेकुआ, चावल के आटा और घी से बने लड्डू, पांच प्रकार के फल व दीए के साथ पूजा का सूप सजाया जाएगा।

सिर पर पूजा की टोकरी लेकर जाएंगे छठ घाट

पूजा की टोकरी सिर पर रखकर लोग छठ गीत की धुन पर श्रद्धा भाव के साथ नहर छठ घाट पहुंचेंगे। वहीं, दूसरे दिन 31 अक्टूबर को प्रात:काल उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ चार दिनी महापर्व संपन्न हो जाएगा। खगौल में छठ घाट की साफ सफाई हो चुकी है। यहां विशेष प्रकार से सजावट किया गया है।छठ को लेकर लोगों का उत्साह देखते बन रहा है। चहुंओर छठ के गीत बज रहे हैं। खगौल में माहौल पूरी तरह से छठमय नजर आ रहा है।

किस दिन कितने बजे अर्पित दें अर्घ्य

● 30 अक्टूबर 2022: सूर्यास्त का समय शाम 5.37 बजे। 31 अक्टूबर 2022: सूर्योदय का समय प्रात: 6.31 बजे।

● असाध्य रोगों से छुटकारा दिलाते हैं भगवान सूर्य

रजनीश रंजन, संगीता सिन्हा, देवेन्द्र कुमार घुटुक, नवीन सैनिक बताते हैं कि छठ पर्व सर्व फलदायी के साथ ही अत्यंत कठिन भी है। इसमें शुद्धता के साथ-साथ कठिन नियमों का भी पालन करना होता है। छठ के इन चार दिनों में सबसे महत्वपूर्ण शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि होती है। इसी के कारण इस महापर्व का नाम छठ पड़ा है। इस व्रत को सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और संतान के लिए मनाया जाता है। भगवान सूर्य भक्तों को असाध्य रोगों से भी छुटकारा दिलाते हैं।

वहीं खगौल की छठव्रतियों में गड़ेरिया टोली निवासी सारिका सैनिक, मंजु सैनिक, नंदूटोला निवासी उषा देवी, आनंदपुरी की संगीता सिन्हा और रजनी श्रीवास्तव नहर छठ घाट पर वहीं मौर्य विहार की रहनेवाली अनिता कुमारी,अरुणा देवी,ममता कुमारी, कुमारी अमृता अपने घर में बने कृत्रिम जलाशय में अर्घ्य देंगी।

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