विश्व ऑटिज्म दिवस पर अवेयरनेस वॉक के माध्यम से लोगों को किया जागरूक

PATNA ( BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|

रंजीत सिन्हा की रिपोर्ट

विश्व ऑटिज्म दिवस के अवसर पर डॉ उमा शंकर सिन्हा सचिव एस.एन.ए.सी बिहार, राष्ट्रीय न्यास, दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम के माध्यम से ऑटिज्म के बारे में लोगों को जागरूक किया गया.

चूंकि ऑटिज्म में नीले रंग को प्रतीक माना गया है, इसीलिए अभियान में शामिल लोगों ने नीले रंग के कपड़े पहन कर लोगों को जागरूक किया. कार्यक्रम में शामिल समाज कल्याण मंत्री बिहार सरकार श्री मदन साहनी ने दिव्यांग लोगों के प्रति संवेदनशील होने की बात कही और राज्य में किए जा रहे कार्यों की सराहना की.

डॉ उमाशंकर सिन्हा ने बताया ऑटिज्म एक गंभीर बीमारी है. इस बीमारी से शिकार बच्चों में मानसिक विकास धीमा हो जाता है लेकिन वे महान कलाकार हो सकते हैं. उनमें गणित के सवालों को बनाने की अदभुत क्षमता होती है और ऐसे बच्चों के लिए राष्ट्रीय न्यास ₹ 1,00,000 निरामया इंश्योरेंस के माध्यम से प्रतिवर्ष चिकित्सा कराने के लिए देती है.

इस मौके पर राज आयुक्त निशक्तता डॉ शिवाजी कुमार ने कहा कि अभी तक शोधों में इस बात का पता नहीं चल पाया है कि ऑटिज्म होने का मुख्य कारण क्या है? यह कई कारणों से हो सकता है- जिसमें जन्म‍ संबंधी दोष होना, बच्चे के जन्म से पहले और बाद में जरूरी टीके ना लगवाना, गर्भवती का खान-पान सही ना होना, गर्भावस्था के दौरान मां को कोई गंभीर बीमारी होना, दिमाग की गतिविधियों में असामान्यता होना, दिमाग के रसायनों में असामान्यता होना, बच्चे का समय से पहले जन्म या बच्चे का गर्भ में ठीक से विकास ना होना आदि वजहें हो सकती हैं.

विशेष सचिव समाज कल्याण विभाग दया निधान पांडे, निदेशक समाज कल्याण बिहार सरकार राजकुमार ने भी लोगों को मदद करने की अपील की. आस्था चैरिटेबल पटना के विशेषज्ञ डॉ शालिनी सिन्हा ने बताया कि अधिकतर आटिस्टिक बच्चे बोलने में अक्षम होते हैैं, आटिस्टिक बच्चों में जितनी जल्दी हो सके स्पीच थेरेपी शुरू कर देनी चाहिए. शोधों से ऐसा पता चला है कि वे आटिस्टिक लोग जिनमें कि सुधार पाया गया है वो अधिक समय से स्पीच थेरेपी ले रहे होते हैं. प्रोत्साहन के लिए रंग-बिरंगी,चमकीली तथा ध्यान खींचने वाली चीजों का इस्तेमाल करें.

बच्चो को अपनी शक्ति को इस्तेमाल करने के लिए उसे शारीरिक खेल के लिए प्रोत्साहित करें. अगर परेशानी ज्यादा हो तो मनोचिकित्सक द्वारा दी गई दवाओ को प्रयोग करें. ऑटिज्म के इलाज का मुख्य उद्देशय है कि रोगी में ऑटिज्म के लक्षणों को कम करके उनमें सीखने की क्षमता का विकास किया जाए. डॉ सोनाली कुमारी, सुष्मिता,श्रेया गुप्ता , अविनाश सिंह, राष्ट्रीय न्यास से निबंधित संस्थाएं,एन जी ओ, दिव्यांगजन उनके माता-पिता और भारी संख्या में लोगों ने अवेयरनेस वॉक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया.

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