फरोग ए उर्दू सेमिनार सह मुशायरे का डीएम वा डीडीसी ने किया उदघाटन कहा उर्दू बडी प्यारी जुबां है

JAMUI (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|मुख्यालय स्थित झाझा बस स्टैंड के समीप मंगलवार को उर्दू निदेशालय बिहार पटना के निर्देश पर फरोग ए उर्दू सेमिनार व मुशायरे का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उदघाटन डीएम अवनीश कुमार सिंह, डीडीसी आरिफ अहसन, एसडीएम प्रतिभा रानी, डा मासूम अहमद अमरथवी तथा अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी सह डीपीआरओ राघवेन्द्र कुमार दीपक ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया.

इस मौके पर बोलते हुए डीएम अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि उर्दू काफी मीठी जबान है यह हिन्दु मुस्लिम भाईचारे का प्रतीक है. आज जरूरत है की इसका प्रचार प्रसार ज्याद से ज्यादा हो. वही डीडीसी आरिफ अहसन ने कहा कि उर्दू का उत्पत्ति उस समय हुई जब मध्यपूर्व से भारत पर आक्रमण हुआ और आकांता यही बस गए. उनकी जुबान अलग थी भारतवासियों की जुबान अलग थी इसलिए एक जुवान की जरूरत पड़ी जिसमें दोनो संवाद कायम कर सके.

उन्होंने कहा कि आईएएस की परीक्षा में मैंने एक पेपर उर्दू को भी रखा. दो तीन महीने कड़ी मेहनत किया. जिसका परिणाम निकला की आईएएस की परीक्षा में सर्वाधिक अंक उर्दू में आए और मेरा चयन आईएएस में हुआ. उन्होंने कहा कि आज इसको आमजनों तक पहुंचाने की जरूरत है. वही एसडीएम प्रतिभा रानी ने कहा कि उर्दू बड़ी प्यारी जबान है. यह हर एक को अपनी मिठास से आकर्षित करती है. सभी लोगो के संबोधन के बाद मुशाएरें की शुरूआत हुई.

मुशाएरें की अध्यक्षता कर रहे मासूम अहमद अमरथवी ने कहा हर घड़ी अपने दुख काे भुलाता रहा, दर्द मित्रों से छुपाता रहा, तुमपर इलजाम आएगा इसलिए, दुख में भी हर घड़ी मुस्कुराता रहा. खगड़िया के मुसलेउद्दीन काजी ने अपना शेर पड़ते हुए कहा कि उर्दू जुबा है  सबकी सब इसे प्यार करते है. वही मोईन गिरीडीहवी ने कहा कि मैं उर्दू हूं मुझे हरलोग ही अब प्यार करते है. मेरे जरिये सभी जजबात का इजहार करते है. वही आलम अंजुम ने अपना शेर पढ़ते हुए कहा कि हर जगह इश्क का चर्चा नही होने दूंगा, कुछ भी हो जाए तमाशा नही होने दूंगा.

कवि बंसत जोशी ने अपनी कविता पढ़ते हुए कहा कि हर जेब में उछलती टेलिकाम की कहानी है, मोबाईल रखने में आजकल रईशी की निशानी है. हशमत अली हशमत ने कहा तंगदस्ती को छुपाने में खलल पड़ता है, सामाने घर के मेरे ताजमहल पड़ता है. सय्यद इसराफील शीरकंदी ने कहा वही नग्मा रहेगा नग्मा साजी को बदल देंगे , मुसल्ला रहन देगे बस नमाजी को बदल देंगे. मो. फिरोज ने कहा खूशबू अगर चाहिए तो गुलाब बोना होगा, खुद बन जाए पारस तो हर लोहा सोना होगा.

डीटीओ कुमार अनुज ने अपनी कविता एहसास से दो पंक्ति कही कुछ अनाम रिश्तों की अनकही सी बंदिशे, पतझड़ के पत्तो की अनबुझी सी स्वाहिशें. डा. ललित सिंह ने कहा बा- सलीका कही नही जाती, बात वो ही सुनी नही जाती. इसी प्रकार शायरों ने अपनी शेरों शायरी से समां बांधा. अल्पसंख्यक कल्याण पदाधिकारी राघवेन्द्र कुमार दीपक के धन्यवाद ज्ञापन के बाद कार्यक्रक का समापन हुआ.

जमुई से विजय कुमार की रिपोर्ट

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