नाटक से बताया- माता पिता का सम्मान करने से आपका भी मान बढ़ेगा

फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच की ओर से साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं अमन राज द्वारा निर्देशित नुक्कड़ नाटक “मां के कदमों में स्वर्ग है तो पिता स्वर्ग का दरवाजा” की प्रस्तुति वाल्मी, फुलवारीशरीफ में की गई।

नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबध्द गीत- मेरे कारण तेरा दिल बहुत दुखा है पापा, अब मेरा दिल भी दुख रहा है…से की गई।
नाटक के माध्यम से यह दिखाया गया कि माता-पिता अपने जिगर के टुकड़े को किस प्रकार पाल-पोस कर बड़ा करते हैं फिर उसे पढ़ा-लिखा कर मंजिल तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। लेकिन एक पिता का ऐसा पुत्र है जो पढ़ाई-लिखाई के रास्ते से भटक जाता है जिसके कारण उनके माता-पिता को अपने बच्चे के भविष्य को लेकर मानसिक तनाव और चिंता बढ़ जाती है फिर वह बीपी, शुगर और हृदय रोग का शिकार हो जाते है। एक दिन अचानक हार्ट अटैक होने से उसकी मृत्यु हो जाती है। इस सदमे में उसकी पत्नी भी दुनिया छोड़ देती है।

अब उसका बेटा अपने पेट की भूख को मिटाने के लिए मजदूरी करने लगता है। एक दिन उसी लड़के का शिक्षक उसे मजदूरी करते देख लेता है तो वह लड़का अपना मुंह छिपाता है। शिक्षक उसके पास आकर बड़े ही प्यार से कहते हैं कि बेटा यदि तुम अपने पिता की बात मान लेता तो आज तुम्हें यह दिन देखना नहीं पड़ता। हर एक इंसान के माता-पिता उसके लिए पुस्तकालय है जिस पर अनुभव लिखा रहता है यदि तुम उनका सम्मान करते तो आज तुम भी एक गुणवान इंसान होते। मां के कदमों में स्वर्ग है तो पिता स्वर्ग का दरवाजा है।‌ अगर दरवाजा नहीं खुला तो अंदर जाने का रास्ता बंद हो जाता है जिस प्रकार सूरज गर्म जरूर होता है मगर डूब जाए तो अंधेरा छा जाता है। ये सब सुनकर वह लड़का गुरु के चरणों में गिरकर फूट-फूटकर रोने लगता है और कहता है कि मेरी गलती के कारण ही मेरे माता-पिता जी स्वर्गवासी हो गए। अब समझ में नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं?
नाटक के कलाकार महेश चौधरी, सौरभ राज, अमन, करण, नमन, शशांक, गोलू, रुपाली, कामेश्वर, जगत नारायण भट्ट आदि थे।

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