आज है साल का सबसे प्यारा त्योहार ” रक्षाबंधन ”, जानिए क्यों मनाया जाता है ये तयोहार

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- DESK)

भाई बहन के पवित्र रिश्ते का त्यौहार रक्षाबंधन इस साल 22 अगस्त 2021 को यानी आज मनाया जा रहा है। इस पर्व को भाई-बहन के प्रेम और सदभाव के पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को टीका करती हैं और कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है, इसके बदले में भाई बहन को भेंट देता है एवं सदैव उसकी रक्षा करने का वचन भी देता है।

इस त्योहार के आने से पहले ही इसकी खुशी हर भाई-बहन के चेहरे पर साफ नजर आने लगती है। स दिन हर तरफ खुशनुमा माहौल रहता हैं। ऐसे ही हम खुशी के साथ सालों से श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का त्योहार मनाते आ रहे हैं, लेकिन क्या आप ये जानते है कि आखिर क्यों या किस कारण से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा और इस दिन का क्या महत्व है।

लक्ष्मी-राजा बलि की कथा

कथा भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी है। भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर असुरों के राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा. दानवीर बलि इसके लिए सहज राजी हो गया। वामन ने पहले ही पग में धरती नाप ली तो बलि समझ गया कि ये वामन स्वयं भगवान विष्णु ही हैं। बलि ने विनय से भगवान विष्णु को प्रणाम किया और अगला पग रखने के लिए अपने शीश को प्रस्तुत किया।

विष्णु भगवान बलि पर प्रसन्न हुए और वरदान मांगने को कहा। असुर राज बलि ने वरदान में उनसे अपने द्वार पर ही खड़े रहने का वर मांग लिया। इस प्रकार भगवान विष्णु अपने ही वरदान में फंस गए। तब माता लक्ष्मी ने नारद मुनि की सलाह पर असुर राज बलि को राखी बांधी और उपहार के रूप में भगवान विष्णु को मांग लिया।

द्रौपदी- श्रीकृष्ण की कथा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत में शिशुपाल के साथ युद्ध के दौरान श्री कृष्ण जी की तर्जनी उंगली कट गई थी। यह देखते ही द्रोपदी कृष्ण जी के पास दौड़कर पहुंची और अपनी साड़ी से एक टुकड़ा फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांध दी। इस दिन श्रावण पूर्णिमा थी, इसके बदले में कृष्ण जी ने चीर हरण के समय द्रोपदी की रक्षा की थी।

भविष्य पुराण की कथा

भविष्य पुराण के अनुसार सालों से असुरों के राजा बलि के साथ इंद्र देव का युद्ध चल रहा था। इसका समाधान मांगने इंद्र की पत्नी सची विष्णु जी के पास गई, तब विष्णु जी ने उन्हें एक धागा अपने पति इंद्र की कलाई पर बांधने के लिए दिया। सची के ऐसा करते ही इंद्र देव सालों से चल रहे युद्ध को जीत गए। इसलिए ही पुराने समय में भी युद्ध में जाने से पहले राजा-सैनिकों की पत्नियां और बहने उन्हें रक्षा सूत्र बांधा करती थी, जिससे वो सकुशल जीत कर लौट आएं।

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