जातीय जनगणना के मसले पर बिहार की सियासत में गर्माहट बढ़ती जा रही, भाजपा और जदयू के अलग रूख को लेकर लोजपा ने लगाया बड़ा आरोप

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)

जातीय जनगणना के मसले पर बिहार की सियासत में गर्माहट बढ़ती जा रही है। इस बीच लोजपा के प्रदेश प्रवक्ता एवं मीडिया प्रभारी कृष्ण सिंह कल्लू ने जातीय जनगणना पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को घेरते हुए कहा है कि वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिला सके। अब मुख्यमंत्री जातीय जनगणना के बहाने भाजपा से अलग होने का बहाना खोज रहे हैं।

कृष्ण सिंह कल्लू ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा से अलग होने का अक्सर कोई न कोई बहाना बनाते रहते हैं। नीतीश कुमार कभी भी किसी राजनीतिक गठबंधन में एक वफादार सहयोगी की तरह नहीं रह पाए। इधर, बिहार सरकार में मंत्री मुकेश सहनी की पार्टी वीआइपी ने जातीय जनगणना के पक्ष में बयान दिया है।

इधर, विकासशील इंसान पार्टी ने कहा है कि केंद्र सरकार को जातिगत जनगणना को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा की जातिगत जनगणना समय की मांग है। भले ही केंद्र सरकार का रवैया इस मामले में बेहद उदासीन है पर साल 1931 तक भारत में जातिगत जनगणना होती थी।

1990 में केंद्र की विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार ने दूसरा पिछड़ा वर्ग आयोग, जिसे आमतौर पर मंडल आयोग के रूप में जाना जाता है, की एक सिफ़ारिश को लागू किया था। ये सिफारिश अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों को सरकारी नौकरियों में सभी स्तर पर 27 प्रतिशत आरक्षण देने की थी।

देव ज्‍योति ने कहा कि वीपी सिंह सरकार के फैसले ने भारत, खासकर उत्तर भारत की राजनीति को बदल कर रख दिया। भारत में ओबीसी आबादी कितनी प्रतिशत है, इसका कोई ठोस प्रमाण फिलहाल नहीं है। इसलिए जाति आधारित जनगणना पर केंद्र पुनर्विचार करे। बिहार सरकार अगर खुद यह कार्य कराती है तो पार्टी कोष से पांच करोड़ रुपये सरकार देगी, जिसकी घोषणा पूर्व में ही की जा चुकी है।

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