PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
बिहार में जहरीली शराब से 26 लोगों की मौत ने प्रशासन की चौकसी और व्यवस्था को घेरे में ला दिया है कि इलाके में अवैध शराब के धंधे पर उसकी नजर क्यों नहीं पड़ी। इससे पहले भी ऐसी घटनाएं हुई हैं।
शराबबंदी कानून के बाद भी आखिर अवैध तरीके से शराब कैसे बनाई जा रही थी और प्रशासन क्या कर रहा था, इसकी गहराई से जांच की जानी चाहिए। जो भी दोषी हैं उन्हें दंडित किया जाना चाहिए। सरकार ने घटना की जांच के लिए एसआइटी के गठन का आदेश दिया है।
इसकी जांच शीघ्रता से करने की आवश्यकता है, क्योंकि यह लोगों की जिंदगी से जुड़ा सवाल है। बार-बार की ऐसी घटनाओं से जाहिर है कि शराबबंदी के बाद भी माफिया अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं।
अवैध रूप से शराब की आपूर्ति करने वालों से लेकर इसमें संलिप्त सरकारी कर्मियों के विरुद्ध लगातार कार्रवाई के बाद भी यह खेल चल रहा है। इसलिए इसकी गहन समीक्षा की भी जरूरत है, ताकि उस अनुरूप और कड़ी व्यवस्था बनाई जा सके।
उन तत्वों की और सूक्ष्मता से पहचान करनी होगी, जो शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं और ऐसे लोगों को सख्त से सख्त सजा दिलानी होगी। कुछ ही ऐसे लोग हैं, जो समाज में जहर बांटने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें दबोचना होगा। शराब के धंधेबाज अपना नेटवर्क बढ़ाने में लोगों की जान ले रहे हैं।
खास तौर से सुदूर इलाकों में अवैध रूप से निर्मित शराब की आपूर्ति की जा रही है, जो जहर है। ऐसे लोग समाज के दुश्मन हैं, जिनके लिए सिर्फ पैसे का मोल है, लोगों की जान की कोई परवाह नहीं। उन्हें चिह्न्ति करना होगा।
राज्य में शराबबंदी लागू होने के बाद भी स्थानीय स्तर पर पुलिस प्रशासन की लापरवाही और कई जगहों पर मिलीभगत से भी इन्कार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि इसके प्रमाण भी मिलते रहे हैं और उन पर कार्रवाई भी की गई है। नशामुक्त समाज एक बड़ी पहल है और इसमें सामाजिक स्तर पर भी सहयोग की जरूरत है, क्योंकि यह कहीं-न-कहीं पूरे समाज को प्रभावित करता है।
लोगों के बीच जागरूकता की मुहिम में और तेजी लानी होगी, उन्हें बताना होगा कि जिस चीज का वे सेवन कर रहे हैं, वह उन्हें मौत की ओर ले जा रहा है। इसके साथ ही प्रशासनिक स्तर पर और कड़ाई के साथ उन पदाधिकारियों और कर्मियों के विरुद्ध भी सख्त कार्रवाई की जरूरत है, जिनके जिम्मे शराबबंदी कानून का पालन कराने का दायित्व है।