बिहार में बनकर तैयार हुआ देश का पहला जू सफारी, दिखेंगे पांच तरह के वन्य प्राणी, वन्‍य जीवों के लिए इस तरह के ठिकाने देश में नहीं के बराबर

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)

बिहार के राजगीर में देश का पहला ऐसा जू सफारी बनकर तैयार हो गया है, जहां पांच तरह के वन्य प्राणी दिखेंगे। वन्‍य जीवों के लिए इस तरह के ठिकाने देश में नहीं के बराबर हैं। बिहार के राजगीर में स्वर्ण गिरी और वैभार गिरि पहाड़ि‍यों की तलहटी में जू सफारी का मनोरम और अद्भुत नजारा देखने लायक है।

यहां खुले में विचरण करते जंगली जानवरों के बीच पर्यटक सुरक्षित तरीके से वाहनों से भ्रमण कर सकेंगे। खास बात यह है कि राजगीर जाने के लिए दिल्‍ली, लखनऊ, वाराणसी, पटना और गया जैसे शहरों से सीधी ट्रेन सेवा उपलब्‍ध है। पटना, गया और दरभंगा यहां के नजदीकी एयरपोर्ट हैं। यह क्षेत्र हिंदू, जैन और बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए भी काफी महत्‍वपूर्ण है।

पर्यटकों को जू सफारी का दीदार करने के लिए अभी थोड़ा इंतजार करना पड़ेगा। नवंबर माह के अंत तक पर्यटकों के लिए यह ठिकाना खुल जाएगा। यहां घने जंगल के बीच शेर, बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण विचरण करते दिखेंगे। राजगीर में घूमने आने वालों के लिए यह इकलौती देखने लायक जगह नहीं है।

यहां और भी कई घूमने और देखने लायक चीजें हैं, जिनके बारे में हम आगे बताएंगे। आपको बता दें कि मौसम के लिहाज से राजगीर घूमने के लिए अक्‍टूबर से मार्च तक का समय काफी बेहतर है। ऐसे में अगर आपक नवंबर के बाद का टूर प्‍लान करते हैं तो आपको जू सफारी घूमने का मौका भी मिल जाएगा।

बता दें की 191 हेक्टेयर में बने जू सफारी में शेर, बाघ, तेंदुआ, भालू और हिरण का अलग-अलग सफारी बना हुआ है। अपने इलाके में ये जानवर विचरण करते नजर आएंगे। पर्यटक मजबूत ग्लास (शीशा) लगे बंद वाहन में सवार होकर उन्हें नजदीक से देखने का आनंद उठाएंगे। इसके लिए विशेष तौर पर तैयार पूरी तरह वातानुकूलित वाहन आ गए हैं।

तेंदुआ और भालू के स्थल के किनारे वाले क्षेत्रों में घेराबंदी के ऊपरी भाग में बिजली का करंट दौड़ाया गया है, ताकि वे किसी तरह बाहर नहीं निकल सकें। सुरक्षा का भरपूर ख्याल रखा गया है। सभी जानवरों के अलग-अलग सफारी हैं। सुरक्षा की दृष्टि से प्रवेश द्वार पर दो-दो गेट बने हैं। एक में प्रवेश के बाद उसके बंद होने के बाद दूसरा खुलता है।

जू सफारी में भ्रमण के लिए रास्ते बन गए हैं। वन्य प्राणियों के नाइट हाउस भी बनाए गए हैं। यहां वे आकर भोजन करते हैं। यहां रखे गए जानवर तीन-तीन दिनों तक लौट कर नहीं आए। अब सब के सब भोजन करने के लिए आने लगे हैं। इस पूरी परियोजना की लागत लगभग 171 करोड़ रुपए है।

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