लालू प्रसाद यादव साल 1996 से चारा घोटाले के विभिन्‍न मामलों में परेशान, जानिए पूरी कहानी

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)

चारा घोटाला के डोरांडा कोषागार मामले में रांची की सीबीआइ अदालत राष्‍ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दे चुकी है। अदालत आज इस मामले में लालू की सजा की अवधि पर फैसला करेगी। वे इसके पहले भी चारा घोटाला के चार अन्‍य मामलों में सजायाफ्ता हो चुके हैं।

अभी तक मिल चुकी इन सजाओं को जोड़ दें तो चारा घोटाला के चार मामलों में लालू को 27.5 साल की सजा हो चुकी है। दरअसल, चारा घोटाला का जिन्‍न लालू के पीछे साल 1996 से ही पड़ा है। उसी साल पटना हाईकोर्ट की निगरानी में चारा घोटाला की सीबीआइ जांच शुरू हुई थी।

इस जांच ने 30 जुलाई 1997 को उनके पटना की विशेष अदालत में सरेंडर व पहली बार जेल जाने की पटकथा लिखी थी। था। इसके पहले 25 जुलाई 1997 को विशेष अदालत द्वारा गिरफ्तारी का वारंट निर्गत होने पर उन्‍हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी।

लालू को पहली बार 30 जुलाई 1997 को जेल जाना पड़ा था। इस दौरान वे कुल 135 दिन जेल में रहे। आगे 28 अक्टूबर 1998 को दूसरी बार 73 दिनों के लिए जेल गए। फिर, पांच अप्रैल 2000 को तीसरी बार जेल गए तो 11 दिनों बाद जमानत मिली।

उन्‍हें साल 2000 के ही 28 नवंबर को भी आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक दिन के लिए जेल जाना पड़ा था। लालू तीन अक्टूबर 2013 को चारा घोटाला के एक मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद 70 दिन जेल में रहे। फिर, 23 दिसंबर 2017 को चारा घोटाले से जुड़े एक अन्‍य मामले में सजा होने के बाद जेल गए तो 17 अप्रैल 2021 को जमानत मिल सकी थी। फिलहाल वे 15 फरवरी 2022 को चारा घोटाला के डोरंडा कोषागार मामले में दोषी करार दिए जाने के बाद फिर जेल में हैं।

चारा घोटाला के पहले मामले में लालू को पांच साल की सजा हुई थी। उनपर 25 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था। पहला मामला चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37.7 करोड़ रुपये की निकासी का था।

चारा घोटाले से जुड़ा दूसरा मामला देवघर कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी का था, जिसमें लालू यादव को साढ़े तीन साल की सजा हुई थी। उनपर पांच लाख का जुर्माना भी लगाया गया था।

चाईबासा कोषागार से 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी के चारा घोटाला के तीसरे मामले में लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सजा सुनाई गई थी। उनपर 10 लाख का जुर्माना भी लगाया गया था।

चारा घोटाला का चौथा मामला दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपये की अवैध निकासी का था, जिसमें लालू को दो अलग-अलग धाराओं में सात-सात साल की सजा दी गई। साथ हीं 60 लाख का जुर्माना भी लगाया गया।

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