शहीद दिवस के अवसर पर पर सूत्रधार द्वारा “भगत सिंह फाँसी की काल कोठरी” का मंचन

KHAGAUL (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|

रंजीत सिन्हा की रिपोर्ट

वरिष्ठ पत्रकार कमलेश द्वारा लिखित एवं नवाब आलम द्वारा निर्देशित नाटक “भगत सिंह फाँसी की काल कोठरी” की शुरुआत, इंकलाब जिंदाबाद के नारों के बीच होती है। तभी आजादी के तराने गूंजने लगते हैं.

देखो यह है वीर भगत सिंह, भारत के बेटों के सीने में भड़काया शोला था,आजादी की खातिर जिसने रंगा बसंती चोला था. नाटक में भगत सिंह जेल की काल कोठरी में बैठे नज़र आते हैं, उन्हें फाँसी की सजा दी जानी है. इस नाटक में दिखाया गया कि शहीद भगत सिंह ने फाँसी के पहले की अपनी रात काल कोठरी में कैसे बितायी थी. इसमें विचारों का प्रवाह है जिसमें भगत सिंह को समझने में कुछ मदद मिलती है. इसमें भगत सिंह के बचपन से लेकर उनके क्रांतिकारी बनने तक की यात्रा को भी उभारने कि कोशिश की गई है।रंगकर्मी शोएब कुरैशी ने अपने एकल अभिनय से नाटक को जीवंत और प्रभावशाली बना दिया.

नाटक के पूर्व दर्शकों को संबोधित करते हुए सूत्रधार के महासचिव नवाब आलम ने कहा कि यह नाटक ऐसे समय में जब देशभक्ति के नाम पर लोगों को सांप्रदायिक उन्माद और संकीर्णतावाद के अंधे कुएँ में धकेला जा रहा है, भगत सिंह, पंडित नेहरु और गाँधी बहुत याद आते हैं.

उनके विचार और उनके सपने आज भी एक बेहतर भारत के निर्माण की लड़ाई लड़ रहे लोगों के लिए हथियार की तरह हैं. यह एक ऐसा हथियार है जिससे जनता के दुश्मन डरते हैं. यही कारण है कि भगत सिंह के विचार और उनके आदर्श को एक साजिश के तहत इस देश के लोगों से दूर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन देश के नौजवान ऐसा नहीं होने देंगे.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *