सत्य आचरण से हीं आत्म शुद्धि संभव – ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी

पटना। दस दिवसीय दसलक्षण पर्व के पांचवें दिन आज पटना के मीठापुर, कदमकुआँ, मुरादपुर, कमलदह मंदिर गुलजार बाग सहित सभी दिगम्बर जैन मंदिरों में उत्तम सत्य धर्म की पूजा की गयी. भगवान का अभिषेक एवं शांतिधारा की गयी. जैन समाज के एम पी जैन ने बताया की कदमकुआं स्थित श्रीपार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में सात प्रतिमाधारी ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी एवं तीन प्रतिमाधारी निक्की दीदी के सानिध्य में पर्युषण पर्व की पूजा की जा रही है. साथ ही इस पूजा को संगीतमय बना रहे हैं फिरोजाबाद से पधारे संगीतकार सेंकी जैन एवं उनका ग्रुप. पूजा में सहयोग कर रहे हैं सागर से पधारे पुजारी अमन जैन. इस दसलक्षण पूजा में यहाँ इन्द्र इन्द्रानी के रूप में पूजा कर रहे हैं अजित जैन सरावगी एवं मंजू जैन. दिगम्बर जैन समाज द्वारा मनाया जानेवाला दस दिवसीय महापर्व पर्युषण के पांचवें दिन श्री पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर, कदमकुआं में उत्तम सत्य धर्म की पूजा ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी ने श्रद्धालुओं को कराई। ब्रह्मचारिणी प्राची दीदी ने बताया कि पर्युषण पर्व में आत्मा के दस स्वभाव पर कैसे विजय पाया जाए इसी को बताया जाता है। पर्युषण पर्व का पांचवां दिवस ‘उत्तम सत्य’ नामक दिवस है. प्राची दीदी ने बताया कि

सत्य का बोध होने पर शब्द की आवश्यकता नहीं होती है. जैसे गुड़ मीठा होता है यह सत्य है लेकिन शब्दों में नहीं कह सकते हैं कि उसका स्वाद किस तरह का है. सत्य दो प्रकार का होता है. जैन मुनि महाराज का सत्य, केवल सत्य ही रहेगा जबकि गृहस्थ के सत्य में अलंकारयुक्त / भाव युक्त झूठ हो सकता है जैसे किसे को कहे कि आपका तेज तो सूर्य के सामान है, यह अलंकारयुक्त सत्य है. सत्य आत्मा का स्वाभाविक गुण है। सत्य आचरण के बिना आत्म शुद्धि असंभव है। सत्य ही आत्मा का धर्म है।

जो मनुष्य तप एवं साधना के द्वारा सत्य को प्राप्त कर लेता है वह अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर सकता है। ब्रह्मचारिणी दीदी ने बताया कि जब व्यक्ति क्रोध, अहंकार, माया- चारी एवं लोभ को नियंत्रित कर लेता है, तो सहज ही उसके जीवन में सत्य का अवतरण होता है। फिर उसकी ऊर्जा कभी भी क्रोध आदि के रूप में विध्वंसक रूप धारण नहीं करती। सत्य को धारण करने वाला हमेशा अपराजित, सम्माननीय एवं श्रद्धेय होता है। “उत्तम सत्य वचन मुख बोले, सो प्राणी संसार न डोले” अर्थात जिसकी वाणी व जीवन में सत्य धर्म अवतरित हो जाता है, उसकी संसार सागर से मुक्ति एकदम निश्चित है। सत्य आत्मा का स्वाभाविक गुण है। सत्य आचरण के बिना आत्म शुद्धि असंभव है| सत्य ही आत्मा का धर्म है। जो वस्तु हमें दिखाई देती है वह सत्य है। जैसे पानी दिखाई पड़ता है वह सत्य है। लेकिन नहीं दिखाई देने वाली वस्तु भी सत्य हो सकती है जैसे हवा हमें नहीं दिखाई देती है, हम उसका अनुभव करते है वह भी सत्य है। सत्य आचरण जीवन की तपश्चर्या है, सत्य के मार्ग में अनेक कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। जो मनुष्य तप एवं साधना के द्वारा सत्य को प्राप्त कर लेता है वह अपनी आत्मा पर विजय प्राप्त कर सकता है। उधर बिहार स्टेट दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमिटी के सचिव पराग जैन ने बताया कि सेठ सुदर्शन स्वामीजी की निर्वाण स्थली श्री कमलदहजी दिगम्बर जैन सिद्ध क्षेत्र, गुलजारबाग तथा राजगीर, पावापुर, कुंडलपुर, चम्पापुर आदि स्थानों पर भी काफी अधिक संख्या में श्रद्धालु दशलक्षण पर्व की पूजा अर्चना कर रहे हैं. एम पी जैन ने बताया कि कल पर्युषण पर्व के छठे दिन संयम धर्म की पूजा की जायेगी. पॉंचों इंद्रियों तथा मन को वश में करना इंद्रिय संयम है। संयमी व्यक्ति अपने जीवन में अपना एवं दूसरों का सदैव कल्याण करता है। संयमी व्यक्ति सदा ही सुखी रहता है। संयम रत्न दुर्लभता से प्राप्त होता है। संयम को रत्न की संज्ञा आचार्यों ने दी है।

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