शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां। जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनींवीणापुस्तकधारिणीमभयदां। जाड्यान्धकारापहाम्हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

मां सरस्वती को शारदा, वीणावादिनी के नाम से भी जाना जाता है, वे ज्ञान, संगीत, कला, भाषण और सीखने की देवी हैं. वह सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती की त्रिमूर्ति (त्रिदेवी) का एक हिस्सा हैं. मां सरस्वती की आराधना ज्ञान के क्षेत्र से जुड़े सभी आयु वर्ग के लोगों विशेषकर विद्यार्थियों द्वारा की जाती है. बसंत पंचमी के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा स्थापित कर विशेष पूजा की जाती है.


देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त होते हीं वे आपको ज्ञान की कुछ महान शक्ति के साथ गले लगाएंगी. जो आपके पूरे जीवन को बदल सकता है और आपके ज्ञान के प्रवाह को एक नई दिशा दे सकता है. जो आपके जाति, धर्म, स्थिति और मानक को नहीं देखेगा। जिसमें सीखने और अनुसंधान करने की क्षमता है वह किसी को भी अपना बना सकता हैं.

बस आपके अंदर दूसरों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता को विकसित करने की जरूरत है. “एक सामान्य पाठक एक स्वाभाविक नेता भी होता है.” यह सबसे बड़ा सत्य है और यह मंत्र आपके जीवन का निर्माण कर सकता है और आपके भाग्य या समय को बदल सकता है.


अवधारणा – हर किसी के पास अपने जीवन शैली को बदलने के लिए आंतरिक शक्ति होती है, बस उसे यह जानने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है कि ज्ञान प्राप्त होने पर आप वास्तव में क्या-क्या कर सकते हैं और जो कोई भी इस छोटी सी चीज को जान गया, वह अपने जीवन में परिवर्तन ला सकता है.

अभी सीखने के लिए थोड़ा और प्रयास करें और यह आपके जीवन को बदल देगा, इतनी जल्दी जिसकी आपने कभी कल्पना भी नहीं की होगी. ज्ञान हर व्यक्ति के अंदर है, पर यह निर्भर करता है कि आप वास्तव में अपने जीवन की दिशा को भविष्य की सबसे अच्छी और सर्वश्रेष्ठ मानसिकता में बदलना चाहते हैं. “जीवन में बदलाव के लिए ज्ञान की क्रांति का हिस्सा बनें.”

पूजा विशेष

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