भारतीय ज्ञान परम्परा की गरिमा से संस्कृत भाषा को जन मान्यता प्राप्त होगी: प्रो बी पी त्रिपाठी कुलसचिव

पटना। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय दरभंगा के कुलसचिव प्रो ब्रजेश पति त्रिपाठी ने गुरुवार को अपना योगदान दिया। इस अवसर पर कुलपति ने हर्ष के साथ उनका स्वागत किया। वित्त पदाधिकारी, विधि अधिकारी, परीक्षा पदाधिकारी, शिक्षक शिक्षकेत्तर सदस्यों ने स्वागत किया।

प्रो त्रिपाठी ने पूर्व में पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अन्तर्गत प्रधानाचार्य, महाविद्यालय निरीक्षक एवं अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष के रुप में सफलता पूर्वक दायित्वों का निर्वहन किया था। वैदिक ज्ञान परम्परा की उर्वर भूमि मिथिला की शिक्षा व्यवस्था के गौरवपूर्ण अतीत में संस्कृत भाषा एवं ज्ञान परम्परा को स्थापित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ निष्ठा पूर्वक अपने दायित्वों के निर्वहन हेतु सभी से आग्रह किया।

प्रो. ब्रजेश पति त्रिपाठी ने कार्य प्रबन्ध के त्वरित स्वरूप की महत्ता पर बल देते हुए इस संबंध में सकारात्मक महत्वपूर्ण सुझाव को आवश्यक बताया कि संस्थान का मुख्य उद्देश्य सुधी छात्रों को शिक्षा द्वारा ज्ञान में मौलिकता, शुचिता एवं शुद्धता के साथ भारतीय दृष्टि बोध एवं सांस्कृतिक विरासत युक्त आत्मविश्वास पैदा करना और भारत के ज्ञान परम्परा की संकल्पना युक्त संस्कृतिक एकता से अवगत कराने की प्रासांगिकता और संस्कृत भाषा के सन्दर्भ में बताया। राष्ट्र की आवश्यकता एवं अवधारणा युक्त शिक्षा वैश्विकरण के दौरान काफी आवश्यक 21 वी सदी में भारत की अकादमिक की मान्यता अनुरूप ज्ञान के विकास प्रस्तुत कर नई सोच और मानसिकता के निर्माण से ही सक्षम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

इस अवसर पर विश्विद्यालय के सभी सदस्यों की गरिमामयी उपस्थिति रही।

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