पारस में लेप्रोस्कोपिक विधि से हुआ गोल ब्लाडर के कैंसर की सर्जरी

• 60 वर्षीय महिला के पेट में रहती थी दर्द की शिकायत

• सीटी स्कैन के बाद गोल ब्लाडर में कैंसर का पता चला

• ऑपरेशन के बाद मरीज को दी जा रही है कैमोथेरेपी

पटना, 10 मई, 2023: पारस एचएमआरआई के डॉक्टरों ने किया लैप्रोस्कोपिक विधि से गोल ब्लाडर के कैंसर मरीज की सर्जरी I इस जटिल सर्जरी को संभालने वाली टीम में गैस्ट्रोसर्जन डॉ नितिन कुमार एवं कैंसर सर्जन डॉ आकांक्षा बाजपेई,पारस एचएमआरआई, पटना है।

नालंदा की 60 वर्षीय मरीज़ वचनी देवी के पेट में हमेशा दर्द की शिकायत रहती थी। जांच के क्रम में अल्ट्रासाउंड किया गया तो गोल ब्लाडर में गांठ का पता चला। डॉक्टरों को शक हुआ तो उनका सीटी स्कैन किया गया। सीटी स्कैन में वचनी देवी के गोल ब्लाडर में कैंसर का पता चला। इसके बाद तुरंत कैंसरस हिस्से को काटकर निकालने का फैसला लिया गया, क्योंकि ऐसा नहीं करने पर वह और फैल सकता था। कई जगह वचनी देवी का डॉक्टरों से इलाज कराया गया, लेकिन कहीं आराम नहीं मिला।

जब वचनी देवी के परिजन उन्हें लेकर पारस एचएमआरआई अस्पताल पहुंचे। गैस्ट्रो सर्जन डॉ. नितिन और कैंसर सर्जन डॉ. आकांक्षा वाजपेयी ने इस जटिल केस को अपने हाथ में लिया। सामान्य तरीके से ऑपरेशन में 25-30 सेंटीमीटर का चीरा लगाना पड़ता है। इस दौरान रक्तस्राव भी काफी होता है। इसलिए लेप्रोस्कोपिक विधि (दूरबीन विधि) से वचनी देवी के गोल ब्लाडर के कैंसरग्रस्त हिस्से को निकालने का निर्णय लिया गया। परिजन भी इसके लिए तैयार हो गए। इस जटिल ऑपरेशन में लीवर के एक हिस्से को भी निकालना पड़ता है, लेकिन दूरबीन विधि से हुए ऑपरेशन में मरीज को ना तो इंटेसिव केयर यूनिट (आइसीयू) में रखने की जरूरत पड़ी और ना ही अलग से ब्लड चढ़ाने की।

गैस्ट्रोसर्जन डॉ नितिन कुमार ने कहा कि “दूरबीन विधि (लेप्रोस्कोपिक विधि) से ऑपरेशन के कारण मरीज को किसी प्रकार की परेशानी नहीं झेलनी पड़ी। उन्हें अलग से ब्लड चढ़ाने की आवश्यकता भी नहीं पड़ी। आइसीयू में भी उन्हें नहीं रखना पड़ा। यह सब दूरबीन विधि से ऑपरेशन के कारण ही संभव हो पाया।”
कैंसर सर्जन डॉ आकांक्षा बाजपेई ने कहा कि “दूरबीन विधि से सर्जरी करने में कैंसर के सर्जरी के सारे मानकों का ध्यान रखा गया और जरुरी सारे लिम्फ नोड्स और गांठ के आसपास का सारा ग्रसित हिस्सा निकाल दिया गया। जो परिणाम बड़ा चीरा से सर्जरी करने में आता है वही परिणाम मिला दूरबीन विधि के फायदे के साथ।”
तीन दिन रखने के बाद चौथे दिन मरीज को अस्पताल से डिस्चार्ज भी कर दिया गया। अब वे धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहीं हैं और डॉक्टरों की सलाह पर सामान्य आहार भी ले रहीं हैं। उनका कैमोथेरेपी करने वाली डॉ. मोशर्रत शाहीन (कंसल्टेंट मेडिकल ऑन्कोलॉजी) ने कहा, “कैमोथेरेपी की आधी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। मरीज को किसी तरह की परेशानी नहीं है। वह सामान्य भोजन भी ले रहीं हैं। कैमोथेरेपी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद वह सामान्य जीवन गुजार सकेंगी।”

पारस हेल्थकेयर ईस्ट के रीजनल डाइरेक्टर श्री राजीव भंडारी ने कहा कि “कैंसर के इलाज में पारस अव्वल स्थान पर है। यहां इलाज की विश्वस्तरीय सुविधा उपलब्ध है। कम लागत में मरीजों को वर्ल्ड क्लास स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। यही कारण है कि पारस की विश्वसनीयता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।”

पारस HMRI के बारे में
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट अस्पताल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य एंव अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है।

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