KHAGAUL (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|साप्ताहिक नुक्कड़ संवाद श्रृंखला की नई कड़ी में सदा लोक मंच ने उदय कुमार लिखित एवं निर्देशित नाटक “लाइफलाइन” का प्रदर्शन किया. खगौल स्थित दानापुर रेलवे स्टेशन के पास ऑटो स्टैंड में गीत “देखो कैसे कट रहे हैं जंगल, बढ़ा प्रदूषण छाया घोर अमंगल,आओ अपना जीवन बचाएं, चलो अपनी धरा को सजाएं” से नाटक की शुरुआत हुई.
नाटक में प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन, बेतहाशा जंगलों, पहाड़ों, पेड़ों की कटाई से हो रहे पर्यावरण के नुकसान को दर्शाया गया. लोग लालचवश अपने स्वार्थ एवम अंधे विकास के कारण प्रकृति के जीवनदायी शक्तियों, उपहारों को नष्ट कर रहे हैं जिसके कारण प्रकृति का संतुलन गड़बड़ाने लगा है. प्राकृतिक आपदाएं बढ़ रही हैं, कहीं बाढ़, सुखाड़, हाल में उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्र में आयी त्रासदी ,बर्फ के पहाडों का टूटना, असमय पिघलना, धरती के तापमान का बढ़ना, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण आदि आपदाएं भारी तबाही के संकेत भर मात्र हैं.
यदि आज नहीं सम्भले तो कल बहुत देर हो जाएगी. पेड़ काटकर नित नए कंक्रीट के जंगल बनाये जा रहे हैं पर लोग शायद भूल रहे हैं कि कंक्रीट के ऊंचे ऊंचे टावर जीवनदायी ऑक्सिजन नही दे सकते हैं. नाटक में पेड़ बना पात्र अपनी व्यथा सुनाता है।वह कहता है- हम पेड़ जहरीला कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण कर सबको प्राणदायी ऑक्सिजन देते हैं. फल, फूल, ईंधन सब देते हैं. वर्षा का संतुलन बनाते हैं. हर तरफ हरियाली, खुशियां फैलाते हैं. आप हमें क्यों काटते हैं, हम तो सिर्फ देते ही हैं आप से लेते कुछ नहीं. आप मानव हम पेड़ों पर इतनी निर्ममता क्यों दिखाते हैं? याद रखें जब हम पेड़ नहीं बचेंगे तो आप भी नहीं बचेंगे। कुछ भी नहीं बचेगा.”
कलाकारों में – रामनाथ प्रसाद, अनिल सिंह, पल्लवी प्रियदर्शिनी, शिवम कुमार, प्रेमराज गुप्ता, कबीर श्रीवास्तव, राजीव रंजन त्रिपाठी, भोला सिंह शामिल थे। समाजसेवी सूरज कुमार, अनिल सिन्हा के साथ डॉ गौतम भारती ने भी दर्शकों से पर्यावरण संरक्षण के लिए मिलकर आगे आने की अपील की.
रंजीत सिन्हा की खबर