PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
कथक नृत्य के जरिए देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले पद्मविभूषण पंडित बिरजू महाराज का निधन 83 वर्ष की उम्र में सोमवार को दिल्ली में हृदयगति रूकने के कारण हो गया। उनका असली नाम पंडित बृजमोहन मिश्र था। उनके निधन से पटना के कला जगत में शोक की लहर है।
पंडित बिरजू महाराज का जन्म चार फरवरी 1938 को लखनऊ में हुआ था। उनका बिहार और पटना से काफी लगाव रहा।
पटना में होने वाले कई कार्यक्रम में संगत करने वाले तबला वादक राजशेखर ने बताया कि वे अपने पिता और गुरु अच्छन महाराज, चाचा शंभु महाराज, लच्छू महाराज के साथ पटना में बचपन के दिनों से आते रहे।
1970-80 के दशक में पटना शहर में जब दुर्गापूजा के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता था तब इन महान कलाकारों की प्रस्तुति होती थी, जिसे देखने और सुनने के लिए पूरा पटना उमड़ता था। पंडित बिरजू महाराज एक नर्तक होने के साथ ठुमरी गायक, वादक भी थे।
तबला वादक राजशेखर की मानें तो वर्ष 2002 में गांधी मैदान में चार दिवसीय सांस्कृतिक आयोजन में पंडित बिरजू महाराज भाग लेने आए थे।
राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने इनकी प्रस्तुति को सराहा था। इन्हें सुनने के लिए पूरा पटना उमड़ता था। कार्यक्रम में पंडित किशन महाराज भी आए थे।
पटना में बिरजू महाराज के नाम से एक अकादमी निनाद भी है, जिसका संचालन बिरजू महाराज की शिष्या नीलम चौधरी करती हैं। वे प्राय अकादमी में बच्चों को प्रशिक्षण देने आते रहे हैं।
बासा भवन में भी पंडित बिरजू महाराज की प्रस्तुति हुई थी। पटना आर्ट कालेज परिसर में पंडित बिरजू महाराज का कार्यक्रम हुआ था जिसमें उनके साथ गिरजा देवी की जुगलबंदी हुई थी। जिसका आनंद पटना वासियों ने उठाया था। वे बोला करते थे कि बिहार मेरा घर आंगन है।