बिहार में जातिगत जनगणना बड़ा मुद्दा, मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का झटका लगा केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को बताया मुश्किल काम

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK-DESK)

जातिगत जनगणना के मुद्दे पर यह बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का बड़ा झटका है। बिहार के पक्ष-विपक्ष के राजनीतिक दलों की अगुवाई करते हुए नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर जातिगत जनगणना की मांग रखी थी।

पीएम ने इसपर विचार करने का आश्‍वासन भी दिया था। इस बीच जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने अपना रूख स्‍पष्‍ट कर दिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा है कि वह जातिगत जनगणना के पक्ष में नहीं है।

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग रखी है कि कोर्ट केंद्र और संबंधित प्राधिकार को निर्देश दे कि वह राज्य को एसईसीसी 2011 में दर्ज ओबीसी के जातीय आंकड़ों को उपलब्‍ध कराए। इस मामले में केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 2011 में सामाजिक, आर्थिक और जातिगत जनगणना की गई थी, लेकिन उसमें कई त्रुटियां थीं।

केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछड़े वर्ग की जातिगत जनगणना प्रशासनिक दृष्टि से कठिन काम है। नीतिगत फैसले के तहत इस तरह की जानकारी को जनगणना के दायरे से बाहर रखा गया है।

विदित हो कि जातिगत जनगणना बिहार में बड़ा मुद्दा बन गया है। इसपर राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में रहते हुए भी मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार केंद्र सरकार की नीति के विरोध में नजर आ रहे हैं।

हाल ही में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्‍व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल जातिगत जनगणना की मांग को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी से मिला था। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में राष्‍ट्रीय जनता दल नेता व बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव भी शामिल थे।

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