10 दिन के होम आइसोलेशन के बाद टेस्टिंग की नहीं है जरूरत

PATNA ( BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|

श्रेया की रिपोर्ट

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने होम आइसोलेशन में रहने वाले हल्के संक्रमण या बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसमें कहा गया है कि होम आइसोलेशन में 10 दिनों तक रहने और लगातार तीन दिनों तक बुखार न आने की स्थिति में मरीज होम आइसोलेशन से बाहर आ सकते हैं और उस समय टेस्टिंग की जरूरत नहीं है।

बता दें की, दिशानिर्देशों के मुताबिक स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा मरीज की स्थिति को हल्का या बिना लक्षण वाला केस तय किया जाना चाहिए। ऐसे मामले में मरीज के सेल्फ आइसोलेशन की उनके घर पर व्यवस्था होनी चाहिए। ऐसे मरीज जिस कमरे में रहते हों उसका आक्सीजन सैचुरेशन भी 94 फीसद से ज्यादा होना चाहिए और उसमें वेंटिलेशन की भी बेहतर व्यवस्था होनी चाहिए। बिना लक्षण वाले मरीजों के संक्रमित होने की पुष्टि प्रयोगशालाओं में जांच के बाद किया जाना चाहिए।

आपको बता दें की स्वस्थ मंत्रालय ने बताया है की :-
– मरीज के लिए हर समय एक देखभाल करने वाला उपस्थित होना चाहिए और होम आइसोलेशन के दौरान केयरटेकर व अस्पताल के बीच संवाद जारी रहना चाहिए।
– 60 साल से अधिक की उम्र के लोगों और तनाव, डायबिटीज, हार्ट डिजीज, क्रोनिक लंग/लीवर/किडनी रोग इत्यादि केसेज में कोरोना संक्रमण होने की स्थिति में चिकित्साधिकारी उचित तरीके से मरीज के स्वास्थ्य की जांच करने के बाद ही होम आइसोलेशन की मंजूरी देंगे।
– अगर बुखार नियंत्रित नहीं हो पा रहा है तो पैरासीटामोल 650 एमजी दिन में चार बार ले सकते हैं। अगर इसके बाद भी बुखार नियंत्रित नहीं होता हो तो डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं जो नोप्रोक्सेन 250 एमजी जैसी नॉन-स्टेयरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग दवाइयां दिन में दो बार दे सकते हैं।

आपको बता दें की, दिशानिर्देशों में कहा गया है कि ऐसे मरीज तीन से पांच दिनों के लिए आइवरमेक्टिन (200 एमसीजी/किग्रा) टैबलेट दिन में एक बार ले सकते हैं। पांच दिन से अधिक बुखार/खांसी रहने पर इंहेलर के जरिए इन्हेलेशनल बूडेसोनाइड दिन में दो बार 800 एमसीजी की डोज दे सकते हैं।

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