जानिए रक्षाबंधन से जुडी कुछ इतिहास की बातें, कहा से शुरू हुआ रक्षाबंधन का ये शुभ त्योहार, क्या है इसका महत्त्व

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- DESK)

हमारे जीवन में कई रिश्ते होते हैं, लेकिन भाई-बहन का रिश्ता सबसे अनोखा होता है। इसमें रूठना-मनाना, एक-दूसरे का साथ देना, एक-दूसरे को सपोर्ट करना, पापा की डांट हो या मम्मी की मार इनसे एक-दूसरे को बचाना आदि। इन सबकी झलक इस रिश्ते में मिलती है। भाई-बहन के इसी अट्टू प्यार को दर्शाता है राखी का त्योहार।

हर साल श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन रक्षाबधन का त्योहार मनाया जाता है। बहन इस दिन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है और बदले में भाई अपनी बहन की सदैव रक्षा करने का वचन देता है। ये सब हम जानते हैं और इस त्योहार को कुछ इसी तरह हर साल मनाते हैं। लेकिन क्या आपने ये जाना है कि आखिर इस त्योहार का इतिहास क्या कहता है।

राखी के इतिहास पर नजर डालते हैं, तो इसकी शुरुआत को लेकर कोई निश्चित इतिहास तो नहीं मिलता है। लेकिन इतना जरूर है कि इसका इतिहास सदियों पुराना है। भविष्य पुराण में राखी के बारे में वर्णन मिलता है। इसमें बताया गया है कि जब दानवों और देव के बीच युद्ध शुरु हुआ था तब तब देवों पर दानव हावी हो रहे थे।

ऐसे में इंद्र भगवान घबरा गए और भगवान बृहस्पति के पास पहुंचकर सबकुछ बताया, जिसे इंद्र की पत्नी इंद्राणी सब सुन रही थी। इसके बाद उन्होंने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र करके अपने पति इंद्र के हाथ पर बांध दिया और ये दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का था।

रक्षाबंधन के तार रानी कर्णावती से जुड़े हुए भी नजर आते हैं। जब मध्यकालीन युग में मुस्लिमों और राजपूतों के बीच संघर्ष चल रहा था। उस वक्त चित्तौड़ के राजा की विधवा रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी और अपनी प्रजा की सुरक्षा का कोई रास्ता न निकलता देख हुमायूं को राखी भेजी थी। इसके बाद ही हुमायूं ने रानी कर्णावती की रक्षा कर, उन्हें अपनी बहन का दर्जा दिया था।

रक्षाबंधन के तार महाभारत से भी जुड़ते हुए नजर आते हैं। दरअसल, जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल का वध किया था, तब इस दौरान उनके बाएं हाथ की उंगली से खून बहने लगा था जिसे देखकर द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा चीरकर कृष्ण की उंगली में बांध दिया। इससे भगवान कृष्ण की उंगली से बह रहा खून बंद हो गया। कहा जाता है कि यहीं से कृष्ण ने द्रोपदी को अपनी बहन बना लिया था।

इन कथाओं के माध्यम से ये पता चलता है कि रक्षाबंधन पर कलाई पर राखी या रक्षासूत्र बांधने जाने के साथ ही उसके बदले में मांगे और दिये जाने वाले वचन का बहुत महत्व होता है। इसलिए इस दिन हर बहन अपने भाई को राखी बांधती हैं और भाई उसकी हिफाजत का वचन देता है।

बहन भाई की कुशलता और सफलता की कामना करती है। ये वचन और भावना ही रक्षाबंधन के त्योहार का सबसे महत्वपूर्ण भाग है। क्योंकि प्रेम और विश्वास का यही बंधन भाई और बहन के रिश्ते के स्नेह की डोर अर्थात् राखी होती है।

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