एक वॉचमन से बॉलीवुड स्टार बनने का सफर, जानें नवाजुद्दीन सिद्दीकी की कहानी

BIHAR NEWS NETWORK- ENTERTAINMENT DESK

श्रेया की रिपोर्ट

‘अपुन को ज़िंदगी में कुछ डेयरिंग करना था’- नवाजुद्दीन सिद्दीकी का सेक्रेड गेम्स वेबसीरीज़ में बोला गया ये डायलॉग सच में उनकी फिल्मी करियर पर एक दम फिट बैठता है

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फर नगर जिले के बुढ़ाना में के रहने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी को आज भला कौन नहीं जानता है। औसत से दिखने वाले नवाज जब फिल्म के लिए अपना शॉर्ट देते हैं तो सामने वाले के होश उड़ जाते हैं।

नवाजुद्दीन सिद्दीकी आज बॉलीवुड के टॉप एक्‍टर्स में शुमार हैं। एक किसान परिवार से निकलकर बॉलीवुड के लीड एक्‍टर बनने का उनका सफर बिल्कुल भी आसान नहीं था। हिंदी भाषी नवाजुद्दीन ने अपनी हिंदी को ही हथियार बनाया और बॉलीवुड में गैंग्‍स ऑफ वासेपुर से लेकर रात अकेली है तक तमाम मूवीज में उन्‍होंने अपनी अदाकारी के झंडे गाड़ दिए।

9 भाई-बहनों के बीच सबसे बड़े नवाज़ुद्दीन का जन्म 19th मई 1974 को U.P के मुज़फ्फरनगर डिस्ट्रिक्ट के एक छोटे से गाँव बुढ़ाना में हुआ था। यहीं उनका बचपन बीता, इंटरमीडिएट तक की पढाई भी इसी गाँव से की। नवाज़ुद्दीन एक ज़मींदार किसानो की फ़ैमिली से हैं। हालांकि, अपना करियर बनाते वक्त उन्होंने परिवार से कोई आर्थिक मदद नहीं ली और बहुत बुरे दिने देखे।

नवाज़ुद्दीन शुरू से ही अपने गाँव से निकल कर बाहर जाना चाहते थे, वजह यह थी कि वहां का माहौल पढाई-लिखाई के लिहाज़ से सही नहीं था। नवाज़ुद्दीन कहते हैं कि उनके गाँव में बस लोग तीन ही चीज जानते हैं – “गेंहूँ, गन्ना, और गन”। इसलिए वो हरिद्वार गए और उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।

इसके बाद वो वडोदरा, गुजरात में एक कम्पनी में बतौर केमिस्ट काम करने लगे। इस काम में उनका मन नहीं लगता था, लेकिन कुछ न कुछ करना था इसलिए करते जा रहे थे। फिर एक दिन उन्हें किसी सार्वजनिक शौचालय की दीवार पर चिपका पोस्टर दिखा, लिखा था, “ सिक्योरिटी गार्ड और वॉचमैन चाहिएं”।

नवाज़ुद्दीन ने कांटेक्ट किया और उन्हें शाहदरा के पास एक टॉय फैक्ट्री में वॉचमन की नौकरी मिल गयी। अब नवाज़ुद्दीन हर रोज सुबह 9 से शाम 5 बजे तक ड्यूटी करते और शाम को प्लेग्रुप के साथ अपने दिल का काम; यानि acting करते। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के प्रतिष्ठित नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन ले लिया।

नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से निकलने के बाद 4 साल तक वे दिल्ली में ही रहे और नुक्कड़ नाटक करते रहे। पर इन सबमे पैसा नहीं था, इसलिए नवाज़ुद्दीन ने सोचा कि चलो सपनो की नगरी मुंबई चलते है। साल 2000 में वे मुंबई आ गए। हां उन्होंने पहले टीवी सेरिअल्स में बहुत हाथ आजमाया, 1-2 एपिसोड में काम मिला पर कहानी वहीँ ख़तम हो गयी। नवाज़ुद्दीन मुंबई की गलियों में अपना भविष्य तलाश रहे थे पर बार-बार उन्हें reject कर दिया जाता। 12-13 साल की स्ट्रगल के बाद उन्हें कई महत्वपूर्ण फिल्मे मिले जिसमे उन्होंने खूब नाम कमाया और फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।

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