PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
बिहार में शराबबंदी को लेकर लगातार चल रहे आरोप-प्रत्यारोप के दौर तथा मुख्यमंत्री की 16 नवंबर को होने वाली महत्वपूर्ण बैठक के पहले जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने दो टूक अंदाज में शनिवार को कहा कि 80 फीसद पुलिस वाले शराबबंदी को लेकर गंभीर नहीं हैं।
जिनके पास शराबबंदी को सख्ती से लागू कराए जाने का जिम्मा है, वही जब गंभीर नहीं हैं तो फिर सवाल उठना लाजिमी है। बमुश्किल 20 फीसद पुलिस वाले ही शराबबंदी को लेकर गंभीर हैं।
कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को लेकर काफी गंभीर है। निरंतर वह अपने स्तर से इसकी समीक्षा करते रहे हैं और अधिकारियों को निर्देश भी दिया करते हैं।
बिहार की महिलाओं की मांग पर उन्होंने बिहार में शराबबंदी को लागू किया था पर नीचे के स्तर पर इसके अनुपालन में परेशानी है। शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री की भावना को पुलिस वाले नहीं समझ पा रहे हैं।
यह उचित नहीं है। शराबबंदी को लेकर पुलिस की सख्ती और सही मानीटरिंग अगर हो तो यह पूरी तरह से सफल होगा।
कुशवाहा ने कहा कि भाजपा के लोग शराबबंदी पर कुछ-कुछ बोलते रहते हैं। यह सोचने की जरूरत है कि बिहार में केवल जदयू की सरकार नहीं है। सरकार में भाजपा भी है। इसलिए उनकी जिम्मेदारी बनती है कि बयान देने के बजाए शराबबंदी को सफल करने की दिशा में योगदान दें।
सामूहिक कोशिश से ही शराबबंदी सफल होगी। उन्होंने कहा कि यह बात पूरी तरह से बेमानी है कि शराब की अवैध बिक्री में सत्ता से जुड़े लोगों का संरक्षण है।
अगर किसी के जानकारी में कोई बात है तो स्पष्ट तरीके से उसे सामने लाना चाहिए। नीतीश कुमार की छवि रही है कि ऐसे लोगों को वह बर्दाश्त नहीं करते हैं।
अवैध तरीके से शराब के धंधे में लगे लोगों को छोड़ने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।