आरा गार्डन रेज़िडेंसेज और इन्दिरा आईवीएफ के निवासी महिला अत्याचार के खिलाफ हुए एकजुट
पटना। कोलकाता में महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और निर्मम हत्या के विरोध में पूरे देश में प्रदर्शन हो रहे हैं। इसी कड़ी में इन्दिरा आईवीएफ पटना हॉस्पिटल और आरा गार्डन रेज़िडेंसेज के संयुक्त तत्वावधान में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और हिंसा के विरोध में एक प्रेरणादायक और शांतिपूर्ण कैंडल मार्च का आयोजन किया गया।
इस कैंडल मार्च में बच्चों, महिलाओं, चिकित्सकों और नर्सिंग कर्मियों सहित लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर अपनी एकजुटता और समर्थन का प्रदर्शन किया। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों के प्रति लोगों को जागरूक करना और यह सुनिश्चित करना था कि बहु, बेटियों और माताओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन मिल सके।
इन्दिरा आईवीएफ ग्रुप के सीईओ डॉ. क्षितिज मुर्डिया ने अपने संदेश में कहा कि यह कैंडल मार्च सिर्फ विरोध प्रदर्शन नहीं था, बल्कि एक जागरूकता अभियान की पहल है जो समाज की सोच में बदलाव लाने का प्रयास है। किसी भी महिला के साथ किसी भी तरह के दुर्व्यवहार की स्थिति में हमें चुप नहीं बैठकर आवाज उठानी चाहिए। हम सभी को एकजुट होकर महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के लिए लड़ना होगा।
आरा गार्डन रेज़िडेंसेज के अध्यक्ष कामेश्वर सिंह ने कहा,’ “यह कैंडल मार्च हमारे समाज को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। हमें यह समझना होगा कि जब तक हम सभी एकजुट होकर इन अत्याचारों के खिलाफ खड़े नहीं होंगे, तब तक इस समाज में बदलाव संभव नहीं है। यह मार्च उन सभी महिलाओं के लिए न्याय की मांग है, जिन्होंने इस समाज की क्रूरता का सामना किया है।”
आरा गार्डन सोसाइटी की प्रबंधन समिति की सदस्य श्रीमती अर्चना और अरुणा सिंह ने कहा कि यह कैंडल मार्च सिर्फ एक घटना के खिलाफ नहीं था, बल्कि पूरे महिला समाज के लिए न्याय और सुरक्षा की मांग का प्रतीक था। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सुरक्षित और सम्मानजनक समाज का निर्माण हो। आज हम सभी ने यह संकल्प लिया है कि हम इस लड़ाई में विजय प्राप्त होने तक डटे रहेंगे।
इन्दिरा आईवीएफ पटना हॉस्पिटल के बिहार हेड और सोसायटी के सचिव डॉ. दयानिधि कुमार ने भी अपनी बात रखते हुए कहा, “आज का यह कैंडल मार्च हमारे समाज में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का एक प्रतीक है। हम इसे सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन के रूप में नहीं देख सकते, बल्कि यह एक आंदोलन है, जो हमारे समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। हमें इस लड़ाई में तब तक डटे रहना होगा जब तक कि हमारी बहनें और बेटियां सुरक्षित महसूस न करें।”