PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के तृणमूल कांग्रेस के विधायक मनोरंजन व्यापारी द्वारा बिहारियों के खिलाफ आपत्तिजनक बयान पर बिहार में सियासत गर्म है। बिहार के लोगों के बहाने बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा को निशाना पर लेते मनोरंजन व्यापारी ने ‘एक बिहारी सौ बीमारी’ कहा तथा बंगाल को बीमार मुक्त करने की अपील की।
उनके बयान का वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हो गया है। इस बयान ने करीब डेढ़ दशक पहले शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे के बिहार व बिहार के लोगों के खिलाफ दिए बयानों की याद दिला दी है।
तब ठाकरे ने भी बिहारियों को बीमारी बताया था। उस वक्त तत्कालीन रेल मंत्री व राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव बिहारियों के पक्ष में खड़े हुए थे।
विदित हो टीएमसी विधायक मनोरंजन व्यापारी ने बिहारियों को बीमारी बताया। उन्होंने लोगों से अपील की कि अगर उनकी रगों में बंगाली खून बहता है तथा उन्हें मातृभूमि व मातृभाषा से प्रेम है तो वे खुदीराम बोस की आग को जलाएं। वे जोर से नारा लगाएं- एक बिहारी सौ बीमारी।
उन्होंने आगे कहा कि बीमारी नहीं चाहिए, बंगाल को बीमार मुक्त कीजिए। टीएमसी विधायक के इस बयान का वीडियो इंटरनेट मीडिया में वायरल हो गया है। इसे शेयर करते हुए बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुवेंदु अधिकारी ने ट्वीट किया है कि आसनसोल में चुनाव प्रचार के लिए जाने पर बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा अपने नए राजनैतिक सहकर्मी के इन वाहियात बयानों पर क्या सफाई देंगे? “एक बिहारी सौ बीमारी।” “बीमारी नहीं चाहिए, बंगाल को बीमार मुक्त करिये।” – मनोरंजन व्यापारी; तृणमूल विधायक।
टीएमसी विधायक का ‘एक बिहारी सौ बीमारी’ का नारा नया नहीं है। इससे होने वाला विवाद भी पुराना है। करीब डेढ़ दशक पहले मार्च 2008 में महाराष्ट्र में महाराष्ट्र नव निमार्ण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने मराठी और गैर मराठी विवाद को जन्म दिया था। इसके बाद शिव सेना प्रमुख बाल ठाकरे भी मैदान में कूद गए थे।
बिहार के लोगों के खिलाफ जहर उगलते हुए अपनी पार्टी के मुख्य पत्र ‘सामना’ में बाल ठाकरे ने बिहारियों के लिए ‘गोबर का कीड़ा’ व ‘एक बिहारी सौ बीमारी’ जैसी संज्ञाओं का इस्तेमाल किया था। उन्होंने बिहार को देश का सबसे पिछड़ा राज्य बताते हुए लिखा था कि इसका कारण राज्य के नेताओं द्वारा कुछ भी नहीं किया जाना है।
तब बाल ठाकरे के इस बयान के खिलाफ तत्कालीन रेल मंत्री व आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने मुंबई में रहने वाले बिहारियों के समर्थन में बयान दिया था। साथ हीं बिहार के और लोगों को भी मुंबई भेजने की बात कही थी।
बाल ठाकरे मुंबई आकर बसने वाले उत्तर भारतीयों के खिलाफ थे। अपने 46 साल के सार्वजनिक जीवन में उन्होंने कोई चुनाव नहीं लड़ा। किसी राजनीतिक पद पर भी नहीं रहे। हालांकि, महाराष्ट्र की राजनीति में उनका अहम कद रहा।
बाल ठाकरे भारत के अन्य राज्यों से, खासकर उत्तर भारत से मुंबई आकर बसने वालों के बेहद कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते थे। मार्च 2010 में जब महाराष्ट्र के राज्यपाल के. शंकरनारायण ने कहा था कि मुंबई में कोई भी रह सकता है।
इसके बाद ठाकरे ने फिर ‘सामना’ में फिर लिखा था कि मुंबई धर्मशाला बन गई है, बाहरी लोगों को आने से रोकने का एकमात्र तरीका यही है कि परमिट सिस्टम लागू कर दिया जाए।