PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
बिहार में नगर निकायों के प्रमुख यानी मेयर और मुख्य पार्षद के साथ ही उप मेयर और उप मुख्य पार्षद का चुनाव अब सीधे जनता करेगी। इस बदलाव के साथ ही इनके पद से हटाए जाने का तरीका भी बदला है। जनता के द्वारा प्रत्यक्ष वोटों से चुनकर आए मेयर व डिप्टी मेयर गोपनीयता की शपथ लेने के तुरंत बाद अपना कार्य ग्रहण करेंगे।
नए संशोधन के अनुसार, अगर किसी मेयर व डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद की मृत्यु हो जाती है या उनके इस्तीफे और बर्खास्तगी के कारण पद खाली हो जाता है तो ऐसी स्थिति में फिर से चुनाव कराया जाएगा। इसके बाद निर्वाचित मेयर और डिप्टी मेयर बचे हुए कार्यकाल तक ही पद धारण करेंगे।
इसी तरह अगर सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों के पद में कोई आकस्मिक रिक्ति होती है, तो मुख्य पार्षद या मेयर निर्वाचित पार्षदों में से किसी को नामित करेंगे। वह नामित सदस्य अपने पूर्व अधिकारी के बचे हुए कार्यकाल तक ही पद धारण करेंगे।
नए संशोधन के अनुसार मेयर और डिप्टी मेयर, राज्य सरकार को संबोधित करते हुए स्वलिखित आवेदन देकर त्यागपत्र दे सकते हैं। ऐसा त्यागपत्र वापस न लिए जाने पर सात दिनों के बाद प्रभावी हो जाएगा।
नए संशोधन के अनुसार सरकार को धारा 44 के अधीन लोकप्रहरी की नियुक्ति करनी होगी। लोकप्रहरी की अनुशंसा के आधार पर ही सरकार मेयर-डिप्टी मेयर या मुख्य पार्षद व उप मुख्य पार्षद को हटा सकेगी। अगर कोई मेयर या डिप्टी मेयर बिना समुचित कारण के तीन लगातार बैठकों में अनुपस्थित रहता है या जानबूझकर अपने कर्तव्य से इंकार करता है तो सरकार उस पर कार्रवाई करेगी।
इसके अलावा शारीरिक या मानसिक तौर पर अक्षम होने या किसी आपराधिक मामले का अभियुक्त होने के कारण छह माह से अधिक समय तक फरार होने का दोषी होने पर भी सरकार मेयर और डिप्टी मेयर से स्पष्टीकरण मांगते हुए उन्हें पद से हटा सकती है।
वर्तमान में उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड और झारखंड में भी मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से होता है। दक्षिण भारत के भी कई राज्यों की जनता सीधे महापौर और उप महापौर चुनती है।
जनता के वोट से सीधे मेयर-डिप्टी मेयर का चुनाव होने से मेयर चुनाव में धन-बल के इस्तेमाल पर रोक लगेगी। अभी तक पार्षदों को अपने पक्ष में करने के लिए पैसों के लेन-देन की शिकायत मिलती थी, मगर अब नए संशोधन से यह प्रचलन रुकेगा।