PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)
राज्यों में स्थानीय पार्टियों के साथ गठबंधन की राजनीति करने वाली कांग्रेस के उनसे रिश्ते बिगड़ रहे हैं। इसकी बानगी बिहार और बंगाल में देखी जा सकती है।
बंगाल में जहां वाममोर्चा ने अपनी सहयोगी पार्टी कांग्रेस से बिना विमर्श किए उपचुनाव के लिए प्रत्याशियों की घोषणा कर दी, वहीं बिहार में कांग्रेस ने महागठबंधन के प्रमुख दल राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के खिलाफ ही उपचुनाव में ताल ठोक दी है। कांग्रेस का आरोप है कि राजद ने बिना विश्वास में लिए दोनों सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।
बंगाल में वाममोर्चा ने कांग्रेस से किसी भी तरह के गठबंधन पर चर्चा किए बिना चार विधानसभा सीटों पर 30 अक्टूबर को होने वाले उपचुनावों में अकेले लड़ने का फैसला कर लिया है। वाममोर्चा ने दो सीटों पर माकपा व एक-एक सीट पर फारवर्ड ब्लाक व आरएसपी चुनाव लड़ेगी।
गौरतलब है कि गोसाबा, शांतिपुर, दिनहाटा और खड़दह में उपचुनाव होने हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वाममोर्चा ने फुरफुरा शरीफ के पीरजादा अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट के साथ भी इसे लेकर कोई बातचीत नहीं की है, जो पिछले विधानसभा चुनाव में उसके साथ गठबंधन में शामिल रही थी।
वाममोर्चा के अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर देने पर भी कांग्रेस उसके साथ मिलकर ही चुनाव लड़ना चाहती है। चूंकि, दिनहाटा, खड़दह और गोसाबा में कांग्रेस का संगठन मजबूत नहीं है, इसलिए वह वहां उम्मीदवार खड़ा करने के पक्ष में नहीं है, लेकिन कांग्रेस चाहती है कि शांतिपुर से वाममोर्चा अपना उम्मीदवार हटा ले। प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय की ओर से इस बाबत माकपा नेतृत्व को पत्र भी लिखा गया है।
गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में कुशेश्र्वरस्थान की सीट कांग्रेस के खाते में थी, जबकि तारापुर राजद के। दोनों सीटों पर जदयू उम्मीदवार जीते थे। कांग्रेस का आरोप है कि राजद ने विश्वास में लिए बिना दोनों सीटों के उपचुनाव में प्रत्याशी उतार दिए। अब महागठबंधन के टूटने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इसका फैसला केंद्रीय आलाकमान करेगा।
अभी हम लोग पूरी मुस्तैदी के साथ चुनाव लड़ेंगे। जब गठबंधन होता है तो बैठकर निर्णय होता है। बात करने का मतलब समाधान निकालना होता है, न कि जानकारी देना। हमारी राजद के प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद सिंह से बात हुई थी, मगर मैंने ही काल किया था, न कि उन्होंने।