PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)| कालेज ऑफ कामर्स आर्ट्स एण्ड साइंस पटना में रविवार को ‘बौद्ध शिक्षा की प्रासंगिकता विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग द्वारा आयोजित इस सेमिनार का उद्घाटन प्रधानाचार्य प्रो. तपन कुमार शान्डिल्य ने किया.
अपने उद्धाटन भाषण में उन्होंने बुद्ध की शिक्षा की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुद्ध का जीवन पर्यावरण और प्रकृति से जुड़ा हुआ है. इसलिए बुद्ध की शिक्षा आज के बदलते पर्यावरण तथा अशांत विश्व के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षा का केंद्र बिंदु मानव और प्रकृति का संतुलन बनाए रखने में है.
सेमिनार के मुख्य अतिथि पटना म्यूजियम के निदेशक डॉ विमल तिवारी ने कहा कि बौध्द स्मारक भारतीय परिदृश्य के माध्यम से भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित बौद्ध केंद्रों के बारे में जान सकते हैं. उनका कहना था कि धरोहर को बचाना हमारा कर्तव्य बनता है. इसलिए धरोहर को बचायें और अपने गौरव को याद करें.
तीन चरणों में आयोजित इस सेमिनार की अध्यक्षता पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय इतिहास विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. उषा झा ने की. अपने अध्यक्षीय भाषण में प्रो. झा ने कहा कि बुद्ध का अष्टांगिक मार्ग व मध्यम मार्ग आज विश्व शांति के लिए प्रासंगिक है. इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय के प्रो. जयदेव मिश्र ने सेमिनार के विषय वस्तु पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बुद्ध की शिक्षा की प्रासंगिकता मानव जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में है.
मंच संचालन व धन्यवाद ज्ञापन अविनाश कुमार झा के द्वारा किया गया, सेमिनार के दूसरे सत्र को संबोधित करते हुए प्रो. राजीव रंजन ने कहा कि इतिहास को नए दृष्टि से लिखने की आवश्यकता है. उनका कहना था कि जो भी इतिहास लिखा गया वह बाहरी लोगों द्वारा लिखा गया है,जो वस्तुनिष्ठ नहीं है। सेमिनार में अन्य लोगों के अलावा प्रो. एस. एन. आर्य, प्रो. माला सिंह, प्रो. सुनिता शर्मा, प्रो. संहिता देवी, प्रो. जय प्रमांशी जयदेव ने भी अपने विचार व्यक्त किए.
रंजीत सिन्हा की रिपोर्ट