रोज़ा सुबह से शाम तक सिर्फ खाली पेट रहने का नाम नहीं है – मो.आफताब रज़ा

खगौल। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन AIMIM (यूथ) के पटना ज़िला के कोकोंवेनर (Co-Convenor) मोहम्मद आफताब रज़ा ने कहा कि हम सब खुशनसीब हैं कि अल्लाह ने हमारे जिंदगी में रमजान का एक और महीना हमें नसीब फरमाया है। हम सभी को चाहिए कि इस महीने में खूब इबादत करें और अल्लाह पाक को मना लें।आफताब रज़ा ने कहा कि रोजे को इस तरह रखें जैसे अल्लाह ने रखने का हुकुम दिया है। हदीसे पाक में आता है हजरत मोहम्मद स. ने फरमाया “कई रोजेदार ऐसे होते हैं जिनको रोजे में भूख और प्यास के सिवा कुछ नसीब नहीं होता।” इसलिए वह रोजे में तो रहते हैं मगर जिस गुनाह और हराम काम को आम दिनों में बचने को कहा गया है वह रोजे में होते हुए भी करते हैं। जैसे- रोजे में भी गालियां देना, गैर-महरम को देखना, झूठ बोलना, गीबत करना, लड़ाई करना, अमीरी गरीबी का भेदभाव करना, नमाज तर्क करना। यहां तो अब यह भी देखने को मिल रहा है कि सेहरी करके फज्र की नमाज नहीं पढ़ते सो जाते हैं। कई रोजेदार तो सेहरी को सुन्नत कहकर सेहरी भी नहीं करते, सोए रहते हैं। यह सोने का महीना नहीं बल्कि अपनी दुनिया और आखिरत को संवारने का महीना है। इसलिए हमें चाहिए हम सिर्फ पेट से नहीं बल्कि अपनी आंख, कान, नाक, हाथ और पैर से भी रोजा रहें और वह हर हराम काम से बचे जिससे बचने को कहा गया है और अपने साथ- साथ अपने मुल्क भारत में अमन- व- सुकून के लिए भी दुआ करें।

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