बिहार पंचायत चुनाव 2021: मुखिया पद में दिलचस्पी नहीं, वार्ड सदस्य के लिए मारामारी, जानें क्यों है ऐसा

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)

पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार द्वारा पंचायतों में विकास के लिए करोड़ो की राशि भेजी गई। मुखिया व वार्ड सदस्यों द्वारा पंचायत के विकास पर खर्च किया गया। सबसे अधिक राशि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत पंचायतो को प्राप्त हुई।

बावजूद इसके इस बार के चुनाव में मुखिया पद के प्रत्याशियों की संख्या वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव की तुलना में काफी कम हो गई।

वर्ष 2016 में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तहत शाहपुर प्रखंड के कुल 20 पंचायतों में मुखिया पद के लिए 216 प्रत्याशियों ने चुनाव लड़ा था। इस बार के चुनाव में कुल 20 पंचायतों के मुख्य पद के प्रत्याशियों की संख्या घटकर 160 रह गई है।

यानी पिछले पंचायत चुनाव की अपेक्षा मुखिया पद पर इलेक्शन लड़ने वाले प्रत्याशियों की संख्या में 56 की कमी आ गई। इससे इतर चुनाव लड़ने में ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्यों की संख्या चार गुणा अधिक हो गई।

वर्ष 2016 के पंचायत चुनाव में सैकड़ों वार्ड सदस्य को मुखिया पद के प्रत्याशियों द्वारा जबरन चुनाव लड़वाया गया था। ताकि, उनकी कार्यकारणी के सदस्य की संख्या पूरी हो सके। इस बार के पंचायत चुनाव में प्रखंड के कुल 20 पंचायतों के 284 वार्ड सदस्यों के पद के लिए 1072 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं।

वर्ष 2016 से 2021 के बीच सभी पंचायतों को तकरीबन पांच से आठ करोड़ रुपये का आवंटन पंचायत के विकास कार्यों के लिए सरकार द्वारा सीधे ग्राम पंचायतों के खातों में किया गया।

इसके अलावे स्वच्छता अभियान के लिए भी राशि प्राप्त हुई, जिसमें मुखिया के अलावे ग्राम पंचायत के वार्ड सदस्य द्वारा खर्च किया गया।

मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत प्रखंड के कुल 20 पंचायतों को करीब 100 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। जिसमें सबसे अधिक लक्षुटोला पंचायत को राशि का आवंटन किया गया।

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