जब गांव-समाज ने नहीं दिया साथ तब भतीजी ने दिया चाचा को मुखाग्नि

KHAGARIA (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|

श्रेया की रिपोर्ट

रिश्तों की महत्व को तो हम सभी जीते हैं, लेकिन जब विपदा में इन्हें निभाने का समय आता है तो आधे से ज़यादा लोग मजबूरी या किसी अन्य कारण से पीछे हट जाते हैं। ऐसे समय में एक 10 वर्षीया बच्ची ने अपने चाचा के शव को मुखाग्नि देकर रिश्तों का मान बढ़ाने का आदर्श प्रस्तुत किया है। जब गांव-समाज के लोग पीछे हट चुके थे। उसका कहना है कि चाचा ने उसे पूरा लाड़-प्यार दिया, जिसे चुकाने का इससे बेहतर अवसर अब कभी नहीं मिलता।

खगडिय़ा जिले के अगुवानी गांव निवासी मुरारी सिंह (62) की मौत मंगलवार की शाम सात बजे उनके घर पर हो गई। वे अविवाहित थे और अकेले रह रहे थे। उनके पांच भाइयों में से अब तीन जीवित हैं। एक भाई बाहर रहते हैं। मुरारी सिंह के पेट का ऑपरेशन चार-पांच माह पूर्व हुआ था। वे बीमार चल रहे थे। शव घर में पड़ा रहा, लेकिन कोई झांकने तक नहीं आया। लोगों के बीच कोरोना से मौत की अफवाह फैल गई।

डॉ. पटवर्धन झा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, परबत्ता सीएचसी ने बात चित के दौरान बताया की, मुरारी सिंह पिछले एक पखवाड़े से बीमार थे। कुछ महीने पहले उनके पेट का ऑपरेशन हुआ था। उनकी कोरोना से मौत नहीं हुई है लेकिन उनके शव को कोई उठाने को तैयार नहीं था, इस सूचना पर पांच पीपीई किट भिजवाई गईं। इसके बाद मदन मोहन सिंह के प्रयास से कुछ लोग आए और शव को घर से निकाला जा सका।

मुरारी के अविवाहित भाई मंजू प्रसाद सिंह ने शव को मुखाग्नि देने का निर्णय लिया तो प्रीति सामने आ गई। प्रीति मुरारी मुरारी सिंह के दूसरे भाई रवींद्र प्रसाद सिंह की बेटी है। उसने बताया कि चाचा के अनमोल प्यार के एक छोटे हिस्से को चुकाने के लिए ही उसने यह कदम उठाया। एक बच्ची को श्मशान घाट पर जाते देख लोक-लाज के कारण बाद में समाज के कुछ लोग भी साथ हो लिए।

प्रीति ने रोते हुए बताया कि उनके चाचा मुरारी सिंह अगुवानी गंगा घाट पर नाव से आने वाले यात्रियों की टिकट जांचने का काम करते थे। वह रोज वहां उनके लिए खाना लेकर जाती थी। शाम में चाचा भी लौटते तो उसके लिए कुछ ना कुछ जरूर ले आते। मुरारी ने उन्हें पिता की तरह प्यार दिया। इस कारण उसने ही उन्हें मुखाग्नि देने का निर्णय लिया।

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