कांग्रेस ओबीसी और ओबीसी नेताओ की घोर द्रोही है: संजीव श्रीवास्तव

दानापुर। लोजपा (आर) के जिलाध्यक्ष चंदन यादव व प्रदेश महासचिव संजीव श्रीवास्तव ने प्रेस वार्ता करके बताया कि कांग्रेस ओबीसी और ओबीसी नेताओ की घोर द्रोही है, उन्होंने कहा कि आइए आजादी से आज तक का इतिहास रिफ्रेश कर ले।

1) डॉ अंबेडकर साहब ने नेहरू मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया था,उस त्यागपत्र में पांच प्वाइंट लिखे थे, ओबीसी पर एक प्वाइंट था कि संविधान सभा में ओबीसी आरक्षण और सुविधाओं को लेकर के जो भी चर्चाएं हुई हैं उसे पूरा करने की कोई रुचि नेहरू जी में नहीं हैं।
2) जनता पार्टी की सरकार आने तक ओबीसी कमिशन पर ना कुछ काम हुआ और ना ही ओबीसी कमिशन को संवैधानिक मान्यता दी गई, जनता पार्टी की प्रथम सरकार ने ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल कमीशन का गठन किया। उसके बाद की कांग्रेस सरकारों ने कुछ नही किया, दोबारा जब जनता पार्टी की सरकार आई तो स्वर्गीय प्रधानमंत्री वी पी सिंह जी ने मंडल कमीशन लागू किया और उसी वजह से उनकी सरकार गिर गई, जिसके बाद वीपी सिंह जी ने एक बहुत ही फेमस स्टेटमेंट दिया था कि मेरी टांग टूट गई है मगर मैं गोल मार चुका हूं।
3) स्वर्गीय राजीव गांधी ने अपने जीवन का सबसे लंबा भाषण पार्लियामेंट में ओबीसी आरक्षण के खिलाफ दिया था, यह कांग्रेस की मानसिक दशा है।
4) नेहरू जी के समय से ही ओबीसी की उपेक्षा की गई है क्योंकि नेहरू जी के समय से ही चुनाव जीतने का जो काम्बीनेशन था वह मुसलमान दलित और सवर्ण था।
5) 2004 के बाद कांग्रेस ने दलित और ओबीसी नेताओं को खास करके टारगेट में लिया। क्योंकि 2004 में जब सरकार बनी तो उसमें राजद और सपा सब लोग पार्टनर थे मगर कांग्रेस ये समझ चुकी थी कि उनको बिहार यूपी से सिर्फ 12 सीट आई है। वह इसलिए क्योंकि उसका मुसलमान वोट बैंक रीजनल पार्टी की तरफ चला गया है‌। मुसलमान वोट बैंक वापस अपनी तरफ खींचने के लिए कांग्रेस ने धीरे-धीरे बहुत सारे काम किए।
6) 2004 में कांग्रेस यूपीए सरकार बनते ही कांग्रेस सपा जदयू बसपा और राजद को खत्म करने का हर प्रयास शुरू कर देती है, मेरे इस वक्तव्य के पीछे जो कारण है वह यह है कि लालू जी को अगर सीबीआई कोर्ट ने काॅन्विकशन किया तो वह अटल जी के समय में नहीं बल्कि यूपीए के समय में हुआ। एक और ओबीसी नेता कनिमोझी को 2G घोटाला में यूपीए सरकार ने फंसाया।एक बड़े कद्दावर ओबीसी नेता मुलायम सिंह यादव के खिलाफ डिसप्रोपोर्शनेट एसैट का केस किया गया।
7) राहुल गांधी ने कानून फाड़ के ये सुनिश्चित किया कि लालू जी दोबारा संसद में नही आयेंगे।
8) कुल जमा ये कि 2004 से 14 के बीच में यूपीए सरकार धीरे-धीरे करके हर उस रीजनल पार्टी को खत्म करना चाहती थी और हर अपने उसे नेता को खत्म करना चाहती थी जो ओबीसी आरक्षण के फेवर में थे।
9) अर्जुन सिंह 2006 में एच‌आरडी मंत्रालय संभालते थे उन्होंने ओबीसी को शैक्षणिक आरक्षण दिया। इसका नतीजा यह हुआ कि 2009 में उनको या उनके परिवार के किसी भी सदस्य को टिकट नहीं दिया गया और जिस कपिल सिब्बल ने 2006 में ओबीसी के आरक्षण का विरोध किया था उनको एचआरडी मंत्रालय दिया गया।
10) 2009 में जब इनको यूपी से 20 सीट मिली तो कांग्रेस वापस अपने कॉन्फिडेंस को प्राप्त कर चुकी थी और कांग्रेस धीरे-धीरे सपा बसपा जदयू को रास्ते पर लगाने के प्रयास में और तेजी से जुट गई।
11) इन्होंने अल्पसंख्यक शिक्षा आयोग और अल्पसंख्यक आयोग का गठन किया, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान का दर्जा दिया जहां पर एससी एसटी ओबीसी का आरक्षण खत्म करके 50% मुस्लिम रिजर्वेशन कर दिया गया।
12) माइनॉरिटी कमीशन के मीटिंग में ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा था कि मुसलमानों को उनके जनसंख्या के हिसाब से सरकार में रिप्रेजेंटेशन नहीं मिल रहा है। मनमोहन सिंह ने फिर यह भी कहा कि मुसलमान का पहला हक राष्ट्रीय संसाधनों पर है और कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण से पर्सेंटेज कट करके उन्होंने इनको देना शुरू किया।
13) 2009 के घोषणा पत्र में भी कांग्रेस ने अपने इलेक्शन मेनिफेस्टो में लिखा था कि हमने केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में मुस्लिम आरक्षण दिया है और हम आगे भी देंगे और यह जो भी वह दे रहे थे आरक्षण वह ओबीसी से काट कर दे रहे हैं।

अब हम लोग बात करते हैं एनडीए के आरक्षण पॉलिसी की :
1) एनडीए ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण दिया मगर वह 50% एक्सिस्टिंग आरक्षण से काट के नहीं दिया, 50% के अलावा दिया।
2) दूसरी बात एनडीए ने नवोदय विद्यालय या मेडिकल एंट्रेंस नीट में ओबीसी को कोटा दिया। तीसरी बात जहां-जहां मुस्लिम आरक्षण करके एससी आरक्षण को घटाया गया था वहां वहां बीजेपी ने विरोध किया।
3) एनडीए सरकार ओबीसी कमिशन को संवैधानिक दर्जा देती है, ओबीसी का रिजर्वेशन इंटैक्ट रखा। उसके ऊपर आरक्षण के खिलाफ जाने का आरोप लगता है और जिन लोगों ने पुराने इतिहास में हमेशा ओबीसी आरक्षण का विरोध किया है या एससी एसटी आरक्षण को घटा करके मुस्लिम आरक्षण दिया हो उनके ऊपर कैसे विश्वास किया जा सकता है।

मैं आपको और भी याद दिलाना चाहूंगा रंगनाथ मिश्र कमीशन के बारे में। रंगनाथ मिश्रा कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य थे। खानदानी कांग्रेसी थे उन्होंने यह रिकमेंडेशन दिया था कि एससी एसटी एट्रोसिटिज एक्ट में कन्वर्टेड एससी को भी शामिल किया जाए। यह एक बहुत ही भयंकर साजिश थी, जो उस समय पार्लियामेंट में कद्दावर दलित नेता स्वर्गीय रामविलास जी पासवान की वजह से सफल नहीं हो पाई।
मैने आपके सामने वह हर तथ्य रखा है जो यह साबित करता है कि ओबीसी या कोई भी आरक्षण का विरोधी है कांग्रेस। और एनडीए एकमात्र वह सरकार है जिसने आज तक ओबीसी को आरक्षण दिया है, सवर्णों को भी आरक्षण दिया है तो किसी से काट करके नहीं दिया है बल्कि एडिशनल आरक्षण दिया है।
उम्मीद करता हूं कि इन सारी बातों को जानने के बाद जनता के बीच में इंडी गठबंधन यानी नयका यूपीए जो कन्फ्यूजन फैलाने का असफल प्रयास कर रही है वह दूर हो जाएगा।
मौके पर दानापुर प्रखंड अध्यक्ष संजय यादव, सिकंदर महतो,राजू शर्मा, डब्ल्यू पासवान,रीता पासवान, बैजनाथ पासवान भी उपस्थित थे।

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