PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- DESK)
मुहर्रम इस्लाम धर्म में महत्वपूर्ण पर्व है। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नए इस्लामिक साल का पहला महीना मुहर्रम होता है। अंग्रेजी कैलेंडर को देखें तो इस साल मुहर्रम का इस्लामिक महीना नौ अगस्त से शुरू हुआ है। इस महीने का 10वां दिन आशूरा होता है। इसी दिन मुहर्रम मनाया जाता है।
इस साल मोहर्रम 19 अगस्त 2021 को यानी कल मनाया जा रहा है। बिहार में कोरोनावायरस संक्रमण से बचाव की गाइडलाइन लागू होने के कारण यह बिना भीड़-भाड़ के सादगी से मनाया जाएगा।
शिया मुस्लिम समुदाय अली के बेटे हुसैन इब्न अली और कर्बला युद्ध से पैगंबर मुहम्मद के पोते के निधन पर शोक व्यक्त करता है। कर्बला इराक में तीर्थयात्रा का एक प्रसिद्ध गंतव्य हैच। हुसैन इब्न अली 680 ई. में कर्बला में मारा गया था।
वे अपने 72 जानिसारों के साथ लड़ते-लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए थे। शिया मुस्लिम समुदाय के लोग कर्बला के युद्ध में हुसैन इब्न अली के निधन पर शोक प्रकट करता है। इाराक स्थित कर्बला के मैदान में हुसैन इब्न अली ने यज़ीद की सेना का मरते दम तक सामना किया था। माना जाता है कि आशूरा के दिन ही मूसा और उनके अनुयायियों ने मिस्र के फिरौन पर विजय प्राप्त की थी।
मुहर्रम को शिया मुसलमानों के समुदाय द्वारा हज़रत इमाम हुसैन की शहादत को याद करने और शोक करने की अवधि माना जाता है, जो मुहर्रम की पहली रात से शोक शुरू होता है और अगले 2 महीने और 8 दिनों तक जारी रहेगा।
मुहर्रम के पर्व में हजरत इमाम हुसैन और हजरत इमाम हसन के मकबरों के प्रतिरूप ताजिया निकाले जाते हैं। मुहर्रम का चांद नजर आते हीं गम का माहौल हो जाता है। अजादार अपने इमाम के गम में गमजदा हो जाते हैं।