BIHAR NEWS NETWORK- ENTERTAINMENT DESK
श्रेया की रिपोर्ट
हिंदी सिनेमा के ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार के निधन से प्रशंसक दुखी हैं। बुजुर्ग से लेकर युवा तक उनके अभिनय के कायल रहे हैं। शायद यही वजह है कि चाहे नेता हो या अभिनेता, किसान हो या गृहणी सभी उनके जाने से मायूस हैं। दिलीप कुमार के जाने के बाद लोग उस जमाने को याद कर रहें हैं जब उनकी फिल्में सिनेमा घरों में आती थीं और पटना में रिक्शा तो छोटे शहरों में बैलगाड़ी से उनकी फिल्मों का प्रचार होता था। सिनेमा हाल में टिकट के लिए मारामारी की स्थिति रहती थी। लोग ब्लैक में टिकटें खरीदते थे।
दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद युसूफ खान था। उनका जन्म 11 दिसंबर 1922 को हुआ था, उन्हें हिंदी सिनेमा में The First Khan के नाम से जाना जाता है। हिंदी सिनेमा में मेथड एक्टिंग का क्रेडिट उन्हें ही जाता है। 1944 में आई ज्वार भाटा उनकी पहली फिल्म रही। इसके बाद दाग़ (1954), आज़ाद, देवदास (1955), नया दौर, मुग़ल-ए-आज़म, लीडर, राम और श्याम, शक्ति, कर्मा और सौदागर जैसी उम्दा और सदाबहार फिल्में दीं। 1998 में प्रदर्शित ‘किला’के बाद उन्होने फिल्मों से संन्यास ले लिया। 1991 में पद्मभूषण और 2015 में उन्हे पद्म विभूषण अवॉर्ड से सम्मानित हुए थे।
साल 1944 में दिलीप कुमार की मुलाकात फिल्म ज्वार भाटा के सेट पर अभिनेत्री मधुबाला से हुई। जिसके बाद महज 18 वर्ष की मधुबाला के मन में दिलीप कुमार के लिए प्रेम जागा उस समय दिलीप 21 वर्ष के थे। साल 1951 में इन दोनों पुनः फिल्म तराना में साथ काम किया। कहा जाता है फिल्म मुग़ल-ऐ-आजम की शूटिंग में 9 साल का समय लगा था, जिस दौरान इन दोनों का प्रेम और भी ज्यादा गहरा हो गया था। दिलीप कुमार ने 1966 में अभिनेत्री सायरा बानो से शादी की। उनके आखिरी समय तक सायरा बानो उनके साथ रहीं।
बता दें की दिलीप कुमार को नौ बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजा गया। दिलीप कुमार ने अपने 55 वर्ष की फ़िल्मी करियर में लगभग 60 फिलिमों में काम किया है। 2015 में दिलीप कुमार को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चूका था। अपने 98 वर्ष की ज़िंदगी में दिलीप कुमार खूब नाम कमाए हैं।