PATNA (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)|
श्रेया की रिपोर्ट
एम्स पटना और आइजीआइएमएस जैसे संस्थानों में ऐसे युवा मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिनकी आरटी-पीसीआर व एंटीजन रैपिड कोरोना टेस्ट रिपोर्ट तो लगातार निगेटिव आ रही है, लेकिन उनके खून में ऑक्सीजन की मात्रा घटती जा रही है। दमा व ब्रोंकाइटिस पीडि़त युवाओं को अचानक आइसीयू या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है।
एम्स के डॉ. संजीव कुमार ने बताया कि हर दिन ऐसे चार से पांच मरीज आते हैं जिनकी बार-बार आरटीपीसीआर जांच कराने पर भी रिपोर्ट निगेटिव आती है। अस्पताल कोविड डेडिकेटेड है, ऐसे में यदि वे ओपीडी के लायक होते हैं तो वहां, अन्यथा जिन केंद्रों में सस्पेक्टेड मरीजों के लिए आइसोलेशन वार्ड होता है, वहां रेफर किया जाता है।
इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) के चिकित्साधीक्षक डॉ. मनीष मंडल ने बताया कि हमारे यहां आजकल पांच प्रतिशत के आसपास मरीज ऐसे होते हैं जिनकी आरटीपीसीआर व एंटीजन रिपोर्ट निगेटिव आती है लेकिन शरीर में ऑक्सीजन का स्तर काफी कम होता है। ऐसे लोगों के लिए हमने 15 बेड का अलग आइसोलेशन वार्ड बनाया है।
आपको बता दें की, कोरोना का यह ऐसा लक्षण है जिसमें न तो सांस फूलती है और न ही अधिक थकान या कमजोरी का अहसास होता है। वायरस चुपचाप काम करता रहता है और अचानक खून में ऑक्सीजन का स्तर 95 से घटकर सीधे 80 पर पहुंच जाता है। इसका किडनी, दिल और दिमाग पर घातक दुष्प्रभाव होता है।