एकजुट नाट्य महोत्सव में महिलाओं के अधिकार पर आधारित नाटक गुड़िया घर का हुआ मंचन

PATNA, KHAGAUL (BIHAR NEWS NETWORK- डेस्क)| सांस्कृतिक संस्था एकजुट की ओर से आयोजित तीन दिवसीय नाट‌्य महोत्सव का सोमवार को मोती चौक स्थित आर्यभट्ट निकेतन स्कूल के सभागार में समापन हुआ. तीसरे दिन के कार्यक्रम का शुभारंभ जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कार्यक्रम ने किया.

इस अवसर पर संस्था के महासचिव अमन कुमार ने पुष्प गुच्छ और अंगवस्त्र देकर मुख्य अतिथि राजीव रंजन, पूर्व विधायक श्रीमती आशा सिन्हा, बीएसएफ के रिटायर्ड कमाडेंट राजेश कुमार सहाय जी का स्वागत किया. वरीय रंगकर्मी एवं बिहार संगीत नाटक अकादमी के पूर्व उपाध्यक्ष प्रमोद त्रिपाठी एवं एकजुट महासचिव अमन कुमार ने इस अवसर पर अपने विचार रखे.

शुरुआत स्वागत गीत- मन की वीणा से गुंजे ध्वनि मंगलम… से हुई. इसमें श्यामाकांत, रंजीत कुमार शामिल हुए. महोत्सव के अंतिम दिन मंथन कला परिषद की ओर से नाटक गुड़िया घर का मंचन कलाकारों ने किया. इस अवसर पर जदयू प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद, पूर्व विधायक श्रीमती आशा सिन्हा, बीएसएफ कमांडेंट राजेश कुमार सहाय, भाजपा नेत्री श्वेता श्रीवास्तव ने बहुचर्चित महिला युवा रंगकर्मी अंजलि शर्मा को एकजुट सम्मान देकर सम्मानित किया.

नाटक “गुड़िया घर”
लेखक : हेनरिक जोहान इब्सन
निर्देशक: प्रमोद कुमार त्रिपाठी

नाटक “गुड़िया घर” नार्वे देश के प्रख्यात नाटककार हेनरिक जोहान इब्सन की लोकप्रिय नाट्य कृति “A DOLLS HOUSE” का हिंदी रूपांतरण है.

1879 में लिखित यह नाटक तब काफी चर्चित हुआ था और दुनियां भर में इसका मंचन होता रहा है.महिलाओं के अधिकार को लेकर लिखा गया यह नाटक आज भी प्रासंगिक है. इस नाटक के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि एक बेटी अपने पिता के घर में तमाम सुख सुविधाओं के साथ रहती तो है पर उसका वजूद एक गुड़िया के समान होता है जहाँ वह स्वतंत्र निर्णय लेकर अपनी पसंद-नापसंद का इजहार भी नहीं कर पाती, पिता का घर हो या पति का, उसके जीवन में कोई फर्क नहीं दिखता .

नाटक की मुख्य नायिका प्रीति” अपने पति मानस के घर में भी वह सम्मान नहीं पा सकी , जिसके लिए वह हकदार है. आदर्शवादी ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ कम खर्च में काम चला लेनेवाला उसका पति हर छोटे-छोटे खर्चे का हिसाब लेकर हमेशा उसे डांटता फटकारता है और उसे अपनी पिता की तरह खर्चीला. अव्यवहारिक, पाखंडी तक कह देता है. हद तो तब हो जाती है, जब अपनी पति की जान बचाने की खातिर लिए गए उसके एक निर्णय पर मानस अपनी मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए उसे झूठी,पाखंडी,कर्तव्यहीन और उससे भी बुरा उसे अपराधी तक कह देता है … पत्नी और उसके बच्चों की माँ के हक से वंचित करने का निर्णय सुना देता है ,पर तभी मुसीबत ख़त्म होते ही पुनः वह प्रीति को माफ़ करते हुए उससे प्यार का इजहार करता है.

क्या प्रीति हमेशा की तरह अपने पति के हाथों एक गुड़िया की तरह मान जाती है या अपने जीवन को आत्मनिर्भर बनाने के लिए अकेले चल पड़ती है.इसी कशमकश को बयान करता है यह नाटक.

प्रीति : अंजलि शर्मा , मानस : हौबिंस कुमार, उषा : पूजा कुमारी, विनोद : सोनू कुमार, डाॅक्टर : अमरजीत शर्मा, नौकर : दीना नाथ गोस्वामी, सूत्रधारः प्रीतम कुमार, कोरस : सज्जाद आलम,प्रशांत कुमार वगैरह.

रंजीत सिन्हा की रिपोर्ट

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