अपने काव्य में शब्दों के नगीने तराश कर पिरोते थे महाकवि ‘प्रभात

जयंती पर साहित्य सम्मेलन में युवा कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय के दो भोजपुरी काव्य-संग्रहों ‘गीत कवन गाईं हम’ तथा ‘मन पुरवा पछेया’ का हुआ लोकार्पण, दी गई काव्यांजलि

पटना। ‘शब्द’ के अत्यंत विनम्र और सिद्ध साधक थे महाकवि केदारनाथ मिश्र ‘प्रभात’। एक एक शब्द को तौल कर प्रयोग करते थे। शब्दों के नगीने तराश कर वे अपने काव्य में पिरोते थे। उनके काव्य से शब्द के एक मोती को भी हटाया नहीं जा सकता। वे सही अर्थों में हिन्दी काव्य-साहित्य के अनमोल रत्न हैं।

यह बातें बुधवार को बिहार हिन्दी साहित्य सम्मेलन में हिन्दी पखवारा के अंतर्गत विगत १ सितम्बर से लगाए गए पुस्तक चौदस मेला के ११ वें दिन महाकवि की जयंती पर आयोजित पुस्तक-लोकार्पण समारोह एवं कवि-सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए सम्मेलन अध्यक्ष डा अनिल सुलभ ने कही। उन्होंने कहा कि प्रभात जी की काव्य-कल्पनाएँ भी अत्यंत मोहक और चकित करती हैं। उन्होंने अपनी विलक्षण काव्य-प्रतिभा से हिन्दी कविता को साहित्य के शिखर पर प्रतिष्ठित किया। महाभारत के महान-योद्धा कर्ण पर लिखित उनका खंड-काव्य ‘कर्ण’ हो अथवा रामायण की खल स्त्री-पात्र ‘कैकेयी’ पर प्रबंध-काव्य, प्रभात जी ने उन्हें अद्भुत काव्य-कल्पनाओं से भरा है। उनके गीत-संग्रह ‘बैठो मेरे पास’पठनीयता और रमणीयता के पुलकनकारी उदाहरण हैं।

समारोह के मुख्य अतिथि और राज्य उपभोक्ता संरक्षण आयोग, बिहार के अध्यक्ष न्यायमूर्ति संजय कुमार ने इस अवसर पर युवा कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय के दो भोजपुरी काव्य-संग्रहों ‘गीत कवन गाईं हम’ तथा ‘मन पुरवा पछेया’ का लोकार्पण भी किया। न्यायमूर्ति ने कहा कि प्रभात जी हिन्दी काव्य के आकाश में सबसे अधिक चमकने वाले सितारे थे। उन्होंने लोकार्पित पुस्तकों के कवि सूर्य प्रकाश उपाध्याय को बधाई और शुभकामनाएँ दी।

आरंभ में अतिथियों का स्वागत करते हुए, सम्मेलन के उपाध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार जियालाल आर्य ने प्रभात जी के साहित्यिक कृतित्व और व्यक्तित्व पर विस्तार से चर्चा की तथा उन्हें हिन्दी का अग्र-पांक्तेय महाकवि बताया।

इस अवसर पर आयोजित कवि-गोष्ठी का आरंभ महाकवि की पुत्र-वधु नम्रता मिश्र द्वारा, उनकी वाणी-वंदना ‘वाणी दो यही वरदान’ के सस्वर पाठ से हुआ। कवि प्रभात के पुत्र मोहन मृगेंद्र, वरिष्ठ कवि बच्चा ठाकुर, कवयित्री आराधना प्रसाद, प्रो रत्नेश्वर सिंह, डा मेहता नगेंद्र सिंह, डा पूनम आनन्द, डा पुष्पा जमुआर, डा शालिनी पाण्डेय, पूनम देवा, डा प्रतिभा रानी, जय प्रकाश पुजारी, सागरिका राय, इंदु उपाध्याय, मीरा श्रीवास्तव, शंकर शरण मधुकर, शमा कौसर ‘शमा’, प्रो सुनील कुमार उपाध्याय, सीमा रानी, ई अशोक कुमार, चंदा मिश्र, कम किशोर वर्मा ‘कमल’, डा मीना कुमारी परिहार, मीना पाण्डेय, संगीता मिश्रा, श्याम श्रवण, सुधा पाण्डेय, विवेकानन्द तिवारी, अनुभा गुप्ता, मोहित कुमार, आदित्य मोहन झा, नन्दन कुमार, अभिराम, बिंदेश्वर प्रसाद गुप्ता आदि कवियों और कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से महाकवि को काव्यांजलि दी। मंच का संचालन ब्रह्मानन्द पाण्डेय ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कृष्ण रंजन सिंह ने किया।

डा मनोज गोवर्द्धनपुरी, डा प्रेम प्रकाश, शशिभूषण कुमार, अहमद अंसारी, डा अवंतिका कुमारी, डा सुषमा कुमारी, प्रो राम ईश्वर पण्डित,महफ़ूज़ आलम, सुप्रशांत सिंह मोहित, रंजन कुमार अमृतनिधि, डा ए अख़्तर, नरेंद्र झा, कुमार गौरव समेत बड़ी संख्या में सुधी श्रोता उपस्थित थे।

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