व्यक्ति दो प्रकार का होता है एक सिद्धांतवादी एवं दूसरा स्वादवादी – आचार्य चंद्रभूषण

पटना। दादी मंदिर में मित्तल परिवार द्वारा सात दिवसीय भागवत कथा आयोजन के दूसरे दिन की कथा प्रारम्भ हुईं। मुख्य यजमान सुशील मित्तल एवं तारा देवी मित्तल ने व्यास गद्दी एवं व्यास गद्दी पर बैठे आचार्य चंद्रभूषण मिश्र की पूजा की। मौके पर मित्तल परिवार के सुंदर लाल एवं अलका मित्तल, पंकज मित्तल, कुसुम मित्तल, प्रमोद मित्तल एवं नीलम मित्तल, अमित एवं जय मित्तल ने भी इसमें भाग लिया।

दोपहर बाद आज दूसरे दिन की भागवत कथा का प्रारम्भ करते हुए शास्त्रोपासक आचार्य डॉ चंद्रभूषणजी मिश्र ने कपिलोपाख्यान एवं ध्रुव चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि महाराजा उत्तान पाद जी की दो पत्नियां हैं, पहली का नाम सुनीति एवं दूसरी का नाम सुरुची. सुनीति के पुत्र हैं ध्रुव एवं सुरुचि के पुत्र हैं उत्तम. इसकी व्याख्या करते हुए आचार्यश्री ने कहा कि व्यक्ति दो प्रकार का होता है एक सिद्धांतवादी एवं दूसरा स्वादवादी. सिद्धांतवादी को पहले दुःख मिलता है परन्तु बाद में आनंद मिलता है. परन्तु स्वादवादी को पहले आनंद मिलता है एवं बाद में दुःख मिलता है. आचार्यश्री ने कहा कि जीवन में ऐश मौज के फेर में रहने से जीवन बिगड़ जाता है और जीवन के उद्देश्य की पूर्ति नहीं होती है. आचार्यश्री ने कहा कि बच्चों में संस्कार दादा, दादी, नाना, नानी एवं माता पिता से प्राप्त होता है। सुनीति के पुत्र हैं ध्रुव, ध्रुव का अर्थ है लक्ष्य की पूर्णता या लक्ष्य की प्राप्ति. ध्रुव का दूसरा अर्थ है निश्चित अर्थात नियमानुसार जीवन जीने से निश्चित रूप से सुख की वृद्धि होती है. महाराजश्री ने कहा कि व्यक्ति को संस्कार बढ़ाने के लिए नियमबद्ध जीवन जीना चाहिए. इससे अपने जीवन के साथ साथ समाज का कल्याण अपने आप होता जाता है . एम पी जैन ने बताया कि आज के कथा सुनने के लिए दादी मंदिर में मुख्य संस्थापक अमर अग्रवाल, बिनोद एवं सुनीता मित्तल, साजन मित्तल, सुशील मित्तल, पुष्कर अग्रवाल, नारायणजी, सूर्य नारायण, अक्षय अग्रवाल, राज कुमार अग्रवाल, सहित सैकड़ों की संख्या में भक्तगण उपस्थित थे।

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