पटना : काइरोप्रैक्टर डॉ. रजनीश कांत ने सात समुंदर पार वर्ल्ड बुक ऑफ रेकॉर्ड्स सम्मान प्राप्त कर बिहार का मान बढ़ाया. उन्हें यह सम्मान 18 जुलाई को ब्रिटिश पार्लियामेंट लंदन में आयोजित समारोह के दौरान मिला. इस मौके पर उनके साथ दुनिया की चिकित्सा क्षेत्र की कई बड़ी हस्तियां भी मौजूद रहीं. इससे पूर्व उन्हें 29 जून को दुबई के पाम अटलांटिस होटल में एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से भी सम्मानित किया जा चुका है. डॉ. रजनीश कांत को काइरोप्रैक्टर के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए यह सम्मान दिया गया.
अवार्ड पा कर डॉ. रजनीश कांत ने कहा कि यह फिजियोथेरेपी, ऑस्टियोपैथी और काइरोप्रैक्टर उपचार का एक ऐसा रूप है, जहां हम हर तरफ से इलाज करवाकर निराश हो चुके लोगों का इलाज करते हैं और उन्हें ठीक करके घर भेजते हैं, जिसमें इसमें न तो किसी दवा का प्रयोग किया जाता है और न ही किसी विशेष प्रकार की सर्जरी की जाती है। अब तक इस पद्धति से कमर दर्द, पैर दर्द, नस दर्द, गैस्ट्रिक, सिर दर्द, कमर दर्द, बदहजमी जैसी कई प्रकार की बड़ी बीमारियों का सफलतापूर्वक इलाज किया जा चुका है। बिहार के भोजपुर जिले के आरा शहर के बेगमपुरा मोहल्ले जैसी छोटी जगह से आने वाले डॉक्टर रजनीश कांत बहुत ही कम उम्र में सफलता के शिखर पर पहुंच गए हैं।
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि कोई ऐसी चिकित्सा प्रणाली भी हो जिसमें दवा की एक भी खुराक के बिना कोई बीमारी जड़ से ठीक हो जाए? यह कर दिखाया आरा भोजपुर के बेगमपुरा मोहल्ले के निवासी फिजियोथेरेपिस्ट,ऑस्टियोपैथ और कायरोप्रैक्टर डॉ. रजनीश कांत ने. उन्होंने ऐसी चिकित्सा पद्धति से देश-विदेश में लोगों का इलाज कर चिकित्सा के क्षेत्र में क्रांति का बिगुल फूंक दिया है. उनकी वैद्य प्रणाली से अब तक देश-विदेश के हजारों लोग लाभान्वित हो चुके हैं. वह इस चिकित्सा प्रणाली से बिहार में हर महीने की पहली तारीख को 100 मरीजों का मुफ्त इलाज करते हैं.
आज के आधुनिक युग में जहां हर जगह पैसे की भूख है, वहीं समाज के गरीब तबके को मुफ्त चिकित्सा प्रदान करने के कारण डॉ. रजनीश कांत को हर जगह सम्मानित किया जा रहा है. वह सिर्फ महीने की पहली तारीख को ही नहीं बल्कि उनके क्लीनिक पर आने वाले गरीबों से भी उनकी हालत देखकर इलाज के लिए पैसे नहीं लेते हैं. बहुत कम समय में सबसे ज्यादा मरीजों का इलाज करने का रिकॉर्ड भी उनके नाम है. इन सभी उपलब्धियों के कारण विश्व प्रसिद्ध संस्था एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और वर्ल्ड बुक ऑफ रेकॉर्ड्स से सम्मानित किया गया.