फैजान-ए-औलिया कमिटी के जुलूस में अदब के साथ चादर और जुलूस को रोककर नमाज भी पढ़ी

खगौल। 101वीं सालाना उर्स हज़रत पीर नसीरुद्दीन शाह (रह.) का मनाया गया। जिसमें फैजान-ए-औलिया कमिटी (खगौल) के तरफ से, बिना ढोल,बैंड-बाजा, नाच-गाना,खुराफात से हटकर बड़े ही अदब के साथ शरियत के एतबार से, सुन्नत और फर्ज़ पर अमल करते हुए चादर को पेश किया गया। जुलूस में मुफ्ती दाऊद साहब, हाफिज शाहनवाज रिज़वी साहब, हाफिज मुसफिक राजा साहब, हाफिज नासिर साहब और कमिटी के सभी जिम्मेदार और सभी लोगों ने शिरकत की और साथ में जुलूस के दौरान असर और मगरिब की नमाज़ सारे लोगों ने जुलूस को रोक कर पढ़ीं और पैगाम दिया कि वलियों के बारगाह में अगर जाओ तो वलियों के तरीके को अपनाते हुए जाओ, ना की नमाज़ को छोड़कर। ढोल-बाजा, नाच- गाना करते हुए वलियों के बारगाह में जाना ये सुन्नियों का तरीका नही है बल्कि सुन्नियत को बदनाम करना है। साथ में ये भी पैगाम दिया गया कि आने वाली नस्लों को अगर सही राह पर रखना है तो पहले हमें खुद को सही राह पर रखना होगा। चादर चढ़ाने के बाद दुआ की गई जिसमे देश में अमन सुकून और भाईचारे की भी दुआ की गई। इसके लिए बिहार दैनिक यात्री संघ के महासचिव शोएब कुरैशी ने सभी ज़ायरिनो को दिली मुबारकबाद पेश की।

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