त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में यह विचार आया कि भारतीय चिंतन परम्परा ही श्रेष्ठ अवधारणा है

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK) 

त्रिदिवसीय अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन सत्र में यह विचार आया कि भारतीय चिंतन परम्परा ही श्रेष्ठ अवधारणा है : अविनाश कुमार झा

पटना। गुरुवार को सेंटर फॉर जेंडर स्टडीज पटना, इतिहास विभाग एवं अर्थशास्त्र विभाग पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतराष्ट्रीय संगोष्ठी में छः विशेष सत्र तथा 14 तकनीकी सत्र संचालित किया गया।

इसमें लैंगिक समानता और नारी विर्मश हेतु कारगर भारतीय दर्शन रहा है इसके तथ्यों के साथ पश्चिमी अवधारण के वैश्विक पक्ष की सर्वमान्य स्वरुप को नकारते हुए पर्यावरण, परिवेश एवं नारी विर्मश कल आज और कल के सन्दर्भ में सतत विकास के कई पक्षों के विचारों को प्रस्तुति किया गया।

अमेरिका से डॉ साया अकर्म, श्रीलंका से प्रो अनुषा इंदश्रीग, समीरा के साथ साथ दिल्ली से डॉ विजय, डॉ पंकज मिश्र, रचना मेहरा आदि कई विद्वानों और हैदराबाद से डॉ अजीत झा, कलकत्ता, ग्वालियार से प्रो संजय स्वर्णकार के साथ ही बिहार के लगभग 125 शोधार्थी एवं विद्वानों के शोध आलेख अकादमिक विमर्श हेतु प्रस्तुत किए गए।

समापन समारोह में प्रो अजय कुमार, प्रो आर सी पी सिन्हा, प्रो एस एन आर्य, प्रो वी पी त्रिपाठी आदि विद्वतजनो ने संबोधित किया।

आज के विर्मश में देश विदेश के प्रोफेसर ने अपने महत्वपूर्ण विचार एवं सुझाव दिए जिससे महिला सशक्तिकरण हेतु प्रयास की खामियों को गिनाते हुए उनके सकारात्मक सुझाव दिए।

डॉ. दिव्या गुप्ता, असिस्टेंट प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय ने यह बताया कि शिक्षा के पक्षों एंड सोशल डायमेंशन के बारे में बात की।डॉ. रचना मेहरा, नई दिल्ली ने जेंडर इक्वलिटी पर विचार व्यक्त किया।

डॉ पल्लवी, दिव्या गुप्ता, शिवानी नाग को श्रेष्ठ कार्य हेतु सम्मानित किया गया। इस विमर्श में वर्तमान में हुए परिवर्तन और अभी तक की अपेक्षा में वैश्विक समस्या के आधार स्वरुप मानसिकता के परिवर्तन नहीं होने से उत्पन्न परिवेश को चित्रित किया गया।

स्त्री की स्वतंत्र अस्मिता हेतु आत्म निर्भर स्वरुप एवं निर्णय लेने के अधिकार हेतु प्रभावी परिवर्तन की वकालत की गई। समापन सत्र में सचिव प्रतिवेदन के साथ इसका समापन हुआ।

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