तारापुर के नतीजों ने बिहार की राजनीति को दिए नए सबक, सभी समीकरण हुए प्रभावित जदयू और राजद के साथ ही कांग्रेस और भाजपा को भी मिली सीख

PATNA (BIHAR NEWS NETWORK – DESK)

बिहार विधानसभा के हालिया उप चुनाव ने सभी दलों को सतर्क कर दिया है और उन्‍हें अपनी रणनीति पर नए सिरे से विचार करने के लिए भी मजबूर किया है।

खासकर, तारापुर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव के परिणाम ने राजनीतिक दलों के स्थापित समीकरण को नए सिरे से परिभाषित किया है। इस संदेश के साथ कि मतदाता और राजनीतिक दलों के सोच में कम या अधिक अंतर आ रहा है।

कहीं पुराना फार्मूला हू-ब-हू लागू है तो कहीं बदलाव की बेचैनी भी है। यह समझ कि मुस्लिम, वैश्य, सवर्ण और पिछड़े और समाज के अन्य समूह के मतदाता खास दलों से बंधे हुए हैं, शायद लंबे समय तक न चले।

मतदाताओं की जागरूकता इस स्तर पर भी देखी गई कि फलां बाबू गांव में आए हैं तो उनकी इज्जत रख ली जाए। मनमाफिक वोट करने के लिए तो अगला आम चुनाव है ही।

यह राजद उम्मीदवार अरुण कुमार का पैतृक गांव है। वैश्य मतदाताओं की संख्या ठीकठाक है। प्रचलित मान्यता में इन्हें भाजपा का कैडर वोट माना जाता है, जबकि वोट देने की प्रवृत्ति इस मान्यता का समर्थन नहीं कर रही है।

बूथ संख्या 50 पर राजद को 458 और जदयू को 44 वोट मिले। बूथ संख्या 52 पर राजद को 344, जदयू को 76, जबकि 52 पर राजद को 311 और जदयू को 103 वोट किे। इन बूथों पर खास जाति, खास पार्टी की मान्यता खतरे में पड़ गई।

बताया गया कि वैश्य की उप जातियों ने अलग-अलग दलों को वोट किया। बगल के कमराय में सवर्ण, यादव और अति पिछड़े हैं। यहां जदयू का दबदबा चला। अति पिछड़ों ने उम्मीद के अनुरूप साथ दिया।

इस गांव के दो बूथों (संख्या 40-41) पर राजद और जदयू को क्रमश: 48-261, 88-291 वोट मिले। यादव बहुल सजुआ में राजद के पक्ष में एकतरफा वोट पड़ा। जदयू के वोट दो अंकों में थे।

जदयू के तीन बार विधायक रहे डा. मेवालाल चौधरी और नीता चौधरी के प्रभाव वाले गांवों (लखनपुर, माणिकपुर और कमरगांवा) में कुल 11 बूथ थे। इनमें छह पर जदयू और पांच पर राजद को बढ़त मिली। सरकार के मंत्री सम्राट चौधरी का भी गृह क्षेत्र यही है। स्व. मेवालाल चौधरी के स्वजन परिवार के किसी को टिकट नहीं मिलने से नाराज थे। इसका असर पड़ा।

छह बूथों पर जदयू को मिली बढ़त में शकुनी चौधरी के परिवार का योगदान माना गया। सम्राट और राकेश चौधरी उनके पुत्र हैं। राकेश ने हाल में जदयू की सदस्यता ली है। शकुनी चौधरी छह बार तारापुर के विधायक रह चुके हैं। उनका झुकाव जदयू की ओर था।

प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष डा. समीर कुमार सिंह का गांव है मिल्की। उप चुनाव में गांव की खूब चर्चा हुई। जदयू के सांसद चंद्रेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी और डा. आलोक सुमन लगातार इस गांव में रहे।

राजद ने लवली आनंद और विधायक चेतन आनंद को भेजा। राजपूत बहुल इस गांव ने सबकी इज्जत रखी। राजद को एक सौ 99, जदयू को तीन सौ 45 और कांग्रेस को 271 वोट मिले।

कांग्रेस उम्मीदवार राजेश कुमार मिश्र के शपथ पत्र के मुताबिक वे बूथ नंबर 205 के वोटर हैं। इस बूथ पर कांग्रेस को सिर्फ छह वोट मिले। उनका गांव मुलुकटांड है। इस गांव के लोगों ने सम्मान किया। एक बूथ पर उन्हें 209 वोट पड़े।

नवगाई में पूर्व मंत्री नीरज कुमार और पार्टी के नेता रवींद्र सिंह कैंप किए थे। यह जदयू के पूर्व महासचिव लोक प्रकाश सिंह का गांव है। यहां के तीन बूथों पर जदयू को 732 और राजद को 87 वोट मिले।

यहां राजपूत और अनुसूचित जाति की बहुलता है। बगल के यादव बहुल कठौर गांव में जदयू का प्रबंधन काम आया। राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह इस गांव में गए थे। दोनों गांवों के चार बूथों पर राजद को 428 और जदयू को 538 वोट मिले।

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