सड़क किनारे झुग्गी झोपड़ी बना कर रहने वाले परिवारों के 8 से 12 वर्ष आयु वर्ग के 51 बच्चों का अब होगा भविष्य उज्जवल

पटना। शिक्षक दिवस पर युवा समाजसेवी राजू कुमार सिंह (रूद्र अर्णव साचित), रवि कुमार सिंह एवं उनकी टीम द्वारा पूर्वी लोहानीपुर, कदमकुआं के स्लम एरिया मे रहने वाले बच्चों एवं युवाओ को एक अमूल्य उपहार दिया गया है।

अब 8 से 12 वर्ष आयु वर्ग के कुल 51 बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए जब तक ये बच्चे 27 आयु वर्ष के नहीं हो जाते हैं तब तक इनको चिकित्सा, शिक्षा, स्किल डेवलपमेंट एवं रोजगार के लिए निशुल्क परामर्श सुविधा उपलब्ध करवायीं जाएगी।इस मौके पर 51 कॉपी, पेन, मिठाईया एवं बच्चों मे चॉकलेट का भी वितरण किया गया।
समाजसेवी राजू कुमार सिंह ने इन 51 बच्चों को 27 वर्ष की आयु का होने तक उनके स्वास्थ्य, शिक्षा और कैरियर निर्माण के लिए आवश्यक संसाधन, सहायता के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हुए आंशिक रूप से गोद लेने की प्रतिबद्धता जताई है। यह निर्णय जिम्मेदारी की गहरी भावना के साथ लिया गया है।
दरअसल सड़क किनारे झुग्गी झोपड़ी बना कर रहने वाले अत्यधिक गरीबी, भीड़भाड़, खराब पानी और अस्वच्छता, घटिया आवास, बुनियादी स्वास्थ्य और शिक्षा सेवाओं तक सीमित पहुंच और अन्य कठिनाइयों (जैसे, उच्च बेरोजगारी, हिंसा) के कारण मलिन बस्तियां, बच्चों और उनके परिवारों के लिए व्यापक सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी नुकसान वाले क्षेत्र हैं। इस समस्या की भयावहता के बावजूद, बच्चों और किशोरों के स्वास्थ्य पर स्लम जीवन के संभावित प्रभाव के बारे में बहुत कम जानकारी है। शहरों में मृत्यु दर और स्वास्थ्य परिणामों में सुधार दिखाने वाले आँकड़े, एकत्रित आंकड़ों पर आधारित हैं और महत्वपूर्ण अंतर्नगरीय असमानताएँ नज़र आ सकती हैं। मलिन बस्तियों में रहने वाले पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर भी ख़राब स्थिति में हैं। यहां के बच्चे डायरिया, सांस की बीमारी और कुपोषण से पीड़ित हैं और टीकाकरण की दर भी कम है। मलिन बस्तियों में रहने वाली माताएँ कम पढ़ी-लिखी होती हैं और उन्हें प्रसवपूर्व देखभाल और कुशल जन्म सहायता प्राप्त होने की संभावना भी कम होती है।

राजू कुमार सिंह बताते हैं कि ऐसे मे शिक्षा वह कुंजी है जो अनगिनत अवसरों को खोलती है और व्यक्तियों को अपने और अपने समुदाय के लिए बेहतर भविष्य बनाने के लिए सशक्त बनाती है। मेरा दृढ़ विश्वास है कि प्रत्येक बच्चा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का हकदार है,चाहे उसकी पृष्ठभूमि या परिस्थिति कुछ भी हो। यह कदम उठाकर मैं उनके सीखने और विकास की यात्रा में योगदान देने और एक उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करने की आशा करता हूं। इस प्रतिबद्धता के लिए समर्पण, प्रयास और संसाधनों की आवश्यकता होगी। हालाँकि, मैं इन चुनौतियों को खुली बांहों से स्वीकार करने के लिए तैयार हूं। यह जानते हुए कि इन बच्चों के जीवन पर इसका प्रभाव अथाह होगा। हम साथ मिलकर उनकी शिक्षा के लिए एक ठोस आधार बनाने, उनकी प्रतिभा का पोषण करने और उन्हें अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने के लिए सशक्त बनाने की दिशा में काम करेंगे।

राजू कुमार सिंह ने कहा कि शिक्षक दिवस पर हम युवा दिमागों को आकार देने में शिक्षकों की अमूल्य भूमिका का जश्न मनाते हैं। इस मौके पर मैं अपने उन सभी शिक्षकों के प्रति अपनी कृतज्ञता और आभार व्यक्त करना चाहता हूं जिन्होंने मेरी शिक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आपके समर्पण, जुनून और छात्रों के प्रति अटूट विश्वास ने मुझे यह कदम उठाने और दूसरों के जीवन में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया है।
उन्होंने कहा कि अपने परिवार, दोस्तों और शुभचिंतकों को उनके निरंतर समर्थन और प्रोत्साहन के लिए दिल से आभार व्यक्त करना चाहता हूं। इस प्रयास में आपका विश्वास मुझ पर एक प्रेरक शक्ति रहा है और इस सार्थक यात्रा के लिए निकलने पर आप सभी का साथ देने के लिए मैं आभारी हूं।
मैं आप सभी को शिक्षा के महत्व और बच्चों के जीवन पर इसके प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाने में मेरे साथ शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं। आइए हम एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए मिलकर काम करें जहां हर बच्चे को शिक्षा तक समान पहुंच और अपने सपनों को पूरा करने का अवसर मिले। इस अविश्वसनीय यात्रा का हिस्सा बनने के लिए धन्यवाद! आइए, हम सब मिलकर इन 51 बच्चों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएँ और उनके लिए एक उज्जवल और अधिक आशाजनक भविष्य का निर्माण करें।

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